हेमंत शर्मा,झाबुआ। मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2018 से 2023 के इस कार्यकाल का साढ़े चार साल बीत चुका है. साल खत्म होते-होते जनता फिर अपनी सरकार चुनेगी. यानी एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी है. एमपी की 230 विधानसभा सीटों में मौजूदा हालात क्या हैं, क्षेत्र की क्या स्थिति है, कौन सा विधायक कितने पानी में है ? इन सभी का जवाब अब विधायक जी का रिपोर्ट कार्ड (vidhayak ji ka Report Card) देगा. लल्लूराम डॉट कॉम आपको सूबे के सभी विधायकों की परफॉमेंस और उनके क्षेत्रों की जमीनी हकीकतों के बारे में बताने जा रहा है. विधायक जी का Report Card में आज बात झाबुआ जिले की थांदला विधानसभा सीट की.
थांदला विधानसभा का इतिहास
झाबुआ जिले की थांदला विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2018 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. वीर सिंह भूरिया कांग्रेस विधायक हैं. थांदला सीट लंबे समय से कांग्रेस का गढ़ बना हुआ है. 1977 में अस्तित्व में आई थांदला विधानसभा में अब तक 11 चुनाव हो चुके हैं. 11 में से 8 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है और बीजेपी सिर्फ दो ही बार अपना खाता खोलने में सफल हुई है. वर्तमान में यहां पर किसान और आम जनता विधायक से खासी नाराज नजर दिखी. लोगों का मानना है विधायक क्षेत्र में ना ही एक्टिव नजर आते हैं, ना ही वह काम करते हैं. जब भी विधायक से काम को लेकर बात की जाती है, तो वह वहां से गोलमोल बातकर रफूचक्कर हो जाते हैं.
बड़े उद्योग, फिर भी बेरोजगार युवा पलायन को मजबूर
थांदला विधानसभा में मुख्य रूप से औद्योगिक क्षेत्र है. जिसे मेघनगर के नाम से जाना जाता है. इस एक शहर में कई बड़े उद्योग लगे हुए हैं, लेकिन इस क्षेत्र में अब भी पलायन एक बड़ा मुद्दा है. यहां पर स्थानीय लोगों को इन इंडस्ट्रीज में काम नहीं मिलता है. जिस कारण यहां के युवा बेरोजगार हैं. उन्हें यहां से दूसरे राज्यों में पलायन करना करना पड़ता है. क्षेत्र की आम जनता विधायक से खासी नाराज नजर आई.
बीजेपी का आरोप
बीजेपी के पूर्व विधायक कल सिंह भावर ने कांग्रेस विधायक वीर सिंह भूरिया पर आरोप लगाया है कि उन्होंने क्षेत्र में बिजली की डीपी लगाने के नाम पर लोगों से पैसा वसूल भी किया. लेकिन अब तक डीपी या नहीं लगी. इसके साथ ही क्षेत्र में सड़कों के हाल बेहाल है. पानी की व्यवस्था नहीं है. कांग्रेस ने वादा किया था किसानों का कर्जा माफ करेंगे, लेकिन किसानों का कर्जा अब तक माफ नहीं हुआ. इसके साथ ही बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ.
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विकासकार्य भी नहीं हुए
जनता का कहना है कि विधायक मेल मुलाकात नहीं करते हैं. विधायक ने क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कोई विकास कार्य किया है. इस क्षेत्र में खेती किसानी वाले आदिवासी लोग रहते हैं. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. इस क्षेत्र में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. कांग्रेस यहां पर जीत का परचम लहराते आई है. 8 बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विधायक रहे हैं, लेकिन अब भी क्षेत्र में बेरोजगारी की एक बड़ी समस्या है.
क्षेत्र में नजर नहीं आते विधायक
किसान भी खासे नाराज दिखे. किसानों का कहना है कि खेत पर समय पर बिजली नहीं मिलती. जिसको लेकर कई बार विधायक से शिकायत की है, लेकिन विधायक ना ही सुनते हैं और ना ही क्षेत्र में नजर आते हैं. चुनाव के वक्त आखिरी बार विधायक को ग्रामीण क्षेत्र में देखा गया था, लेकिन उसके बाद से अब तक विधायक क्षेत्र में नजर नहीं आए.
मतदाताओं की संख्या
थांदला विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 60 हजार 335 है. जिसमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 30 हजार 6, महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 30 हजार 332 और थर्ड जेंडर की संख्या 7 है.
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