कर्ण मिश्रा,भिंड। मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2018 से 2023 के इस कार्यकाल का साढ़े चार साल बीत चुका है. साल खत्म होते-होते जनता फिर अपनी सरकार चुनेगी यानी एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी है. एमपी की 230 विधानसभा सीटों में मौजूदा हालात क्या हैं, क्षेत्र की क्या स्थिति है, कौन सा विधायक कितने पानी में है ? इन सभी का जवाब अब विधायक जी का रिपोर्ट कार्ड (vidhayak ji ka Report Card) देगा. लल्लूराम डॉट कॉम आपको सूबे के सभी विधायकों की परफॉमेंस और उनके क्षेत्रों की जमीनी हकीकतों के बारे में बताने जा रहा है. विधायक जी का Report Card में आज बात भिंड जिले की लहार विधानसभा सीट की.
लहार विधानसभा
भिंड जिले की लहार विधानसभा में कांग्रेस विधायक डॉ गोविंद सिंह हैं, जो कि 7 बार यानी 1990 से लगातार काबिज है. वह नेता प्रतिपक्ष भी है. इस क्षेत्र की जनता ने 2018 के विधानसभा चुनाव में डॉ गोविंद सिंह को एक बार फिर विधायक चुना था. 2018 विधानसभा चुनाव में डॉ गोविंद सिंह को 62113 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी से चुनाव लड़े रसाल सिंह को 53040 वोट मिले थे. ऐसे में डॉ गोविंद सिंह ने 9073 वोट के अंतर से रसाल सिंह को हराया था. डॉ गोविंद सिंह कांग्रेस के सीनियर नेता है. लिहाजा इस बार यह विधानसभा भिंड जिले की अहम सीटों में शामिल है. लहार विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का अभेद किला बन चुकी है. ऐसे में यहां BJP जीत के लिए किला भेदने पर काम कर रही है. हालांकि बीजेपी और कांग्रेस के साथ-साथ बहुजन समाज पार्टी भी यहाँ कड़ी टक्कर देती है.
जातिगत समीकरण
लहार विधानसभा में जातिगत समीकरण की बात की जाए, तो यहां अनुसूचित जाति करीब 60 हजार, ब्राह्मण 45 हजार, कुशवाह 35 हजार, बघेल 22 हजार, ठाकुर 18 हजार, कौरव 14 हजार, बनिया 10 हजार, यादव 10 हजार, गुर्जर 8 हजार और रजपूत 7 हजार है.
विधानसभा की खासियत
लहार ऐसी विधानसभा है. जिसका एक छोटा क्षेत्र शहरी है, जबकि एक बड़ा क्षेत्र ग्रामीण है. अनुसूचित जाति, ब्राह्मण और कुशवाह बाहुल्य इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के साथ ही BSP का बड़ा वोट शेयर है. उत्तरप्रदेश से सटा हुआ है, इसलिए यहां की सियासी फिजा में यूपी राजनीति की झलक दिखाई देती है.यहां बहुजन समाज पार्टी का काफी प्रभाव मतदाताओं पर भी देखने को मिलता है. लहार विधानसभा सीट पर 1993 के बाद से कांग्रेस काबिज है. यहां कोई भी दूसरा दल चुनाव नहीं जीता है. इस विधानसभा क्षेत्र में लोगों का मूल पेशा कृषि के साथ ही पशुपालन औऱ स्थानीय व्यापार है.
लहार विधानसभा के मतदाता
लहार विधानसभा में जातिगत समीकरण की बात की जाए, तो यहां कुल मतदाता 2 लाख 52 हजार 770 हैं. जिसमें पुरुष 1 लाख 37 हजार 912, महिला 1 लाख 14 हजार 853 और थर्ड जेंडर 05 है. सर्विस वोटर 914 और जेंडर रेशों 833 है.
धार्मिक क्षेत्र
लहार विधानसभा में धार्मिक क्षेत्रों में प्रसिद्ध धार्मिक स्थल काँक्षी सरकार है, जिन्हें लोकमान्यता के अनुसार मजिस्ट्रेट की उपाधि प्राप्त है. इसके साथ ही विजय का प्रतीक रहकोला देवी का भी मंदिर है.
लहार विधानसभा कब अस्तित्व में आई ?
यह विधानसभा मध्यभारत के समय की है. नवंबर 1956 में नए मध्यप्रदेश के गठन पर राज्यों के पुनर्गठन के परिणामस्वरूप, भिंड जिला नए मध्य प्रदेश का एक हिस्सा बन गया. लहार विधानसभा रही.
लहार विधानसभा में कोन विधायक किस पार्टी से जीते
- 1962 में कांग्रेस के प्रभुदयाल जीते
- 1967 में भारतीय जनसंघ के सरयू प्रसाद त्रिपाठी जीते
- 1972 में कॉंग्रेस के राघवरन चौधरी जीते
- 1977 में जेएनपी से राम शंकर सिंह जीते
- 1980 में कांग्रेस से रामशंकर चौधरी जीते
- 1985 में कांग्रेस के सत्यदेव कटारे जीते
- 1990 में जेडी से गोविंद सिंह जीते
- 1993 में कांग्रेस से डॉ गोविंद सिंह जीते
- 1998 में कांग्रेस के डॉ गोविंद सिंह जीते
- 2003 में कांग्रेस के डॉ गोविंद सिंह जीते
- 2008 में कांग्रेस के डॉ गोविंद सिंह जीते
- 2013 में कांग्रेस के डॉ गोविंद सिंह जीते
- 2018 में कांग्रेस के डॉ गोविंद सिंह जीते
विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की स्थिति
इस विधानसभा में अब तक 10 बार कांग्रेस, 1 बार BJP, 1 बार JD और 1 बार JNP को जीत हासिल हुई है.
कुछ विशेष परेशानियां
इस विधानसभा में सबसे बड़ी परेशानी सड़क और बिजली की है. साथ ही सिंध नदी से रेत का खनन बड़ी तादाद में किया जाता है. सिंध नदी से खनन के लिए टेंडर प्रक्रिया भी की जाती है, लेकिन स्थानीय तौर पर खनिज माफिया की बड़ी समस्या है.
इस बार रोजगार के अवसर पैदा किए जाएंगे- गोविंद सिंह
लहार विधानसभा से विधायक डॉ गोविंद सिंह का कहना है कि क्षेत्र की जनता उन्हें 1990 से लगातार चुनती आ रही है. ऐसे में जनता की सेवा करने का काफी वक्त मिला है. उन्होंने ज्यादातर वादे पूरे किए है. वही अपनी विधानसभा में अब तक करोड़ों के विकास कार्य करा चुके हैं. मुख्य रूप से हाल ही में घण्टा घर, सेल्फी पॉइंट और स्टेडियम बनवाया है. साथ ही जनता यदि एक बार फिर मौका देगी, तो उनकी पहली प्राथमिकता है कि लहार विधानसभा में रोजगार के अवसर पैदा किये जाएं.
हर जगह विकास के नाम पर भ्रष्टाचार – बीजेपी
2018 में डॉ गोविंद सिंह के खिलाफ BJP के टिकट पर चुनाव लड़े रसाल सिंह का कहना है कि आज लहार विधानसभा में विकास का पहिया रुक चुका है. हर जगह विकास के नाम पर भ्रष्टाचार चल रहा है. इस बार BJP पूरी तरह से तैयार है और जनता के विश्वास पर खरे उतरते हुए वादों को भी पूरा करेंगे. इस बार किला BJP ही जितेंगी.
कई दावेदारों के नाम की चर्चा
लहार विधानसभा में मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच में है, लेकिन यहां पर बीएसपी सियासी समीकरण को बिगाड़ सकती है. भारतीय जनता पार्टी से जहां रसाल सिंह सहित कई दावेदारों के नाम चर्चाओं में है, तो वही कांग्रेस को अपने वर्तमान विधायक डॉ गोविन्द सिंह पर ही सबसे ज्यादा भरोसा है.
विधायक की क्या है स्थिति ?
जनता से किs वादों और उनको पूरा करने की स्थिति पर गौर किया जाए, तो जनता के अनुसार विधायक जी का दावा काफी कमजोर नजर आया है. जनता के बीच उनके प्रति काफी नाराजगी भी पाई गई है. क्षेत्र के काफी लोग ऐसे भी मिले, जिन्होंने विधायक के काम के दावे पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए विधानसभा क्षेत्र में ही पक्षपात का आरोप लगाया है. ऐसे में देखना होगा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में जनता क्या एक बार फिर डॉ गोविंद सिंह को टिकट मिलने पर मौका देगी या इस बार बदलाव की बयार है.
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