बिलासपुर। प्रदेश की न्यायधानी कहलाने वाले बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र की पहचान एक लंबे अर्से से ‘खोदापुर’ के नाम से होने लगी है. सीवरेज लाइन के लिए शहर की सड़कों को खोदे जाने से आवागमन बद से बदतर हो गई. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में अमर अग्रवाल जैसे कद्दावर नेता की बजाए नए-नवेले राजनीति में प्रवेश करने वाले शैलेष पांडेय को अपना प्रतिनिधि चुना. लेकिन क्या चार सालों में न्यायधानी की स्थिति बदली! Lalluram ने विधायक जी का बहीखाता (vidhayak ji ka bahikhata) में इसका जायजा लिया… इसे भी पढ़ें : विधायक जी का बहीखाता : बेलतरा में सुविधाओं का अभाव, कोई विधायक ढूंढ रहा कोई विकास, तो कुछ कार्यों से संतुष्ट, जानिए क्या है क्षेत्र का हाल?

विधानसभा सीट का इतिहास

बिलासपुर विधानसभा का न केवल अविभाजित मध्यप्रदेश बल्कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में अहम स्थान है. विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का दबदबा छत्तीसगढ़ के गठन के बाद से ही बना हुआ है. इस विधानसभा को ब्राह्मणों का गढ़ माना जाता है. क्योंकि विधानसभा के कुल 2 लाख 71 हजार 971 मतदाताओं में 25 हजार मतदाता ब्राह्मण हैं. इसके अलावा मुस्लिम और ओबीसी वोटरों का भी दबदबा है.

आंकड़ों पर एक नजर…

वर्ष 2018 के चुनाव को छोड़कर बाकी के तमाम चुनावों में तमाम अनुमानों को धत्ता बताते हुए भाजपा ने जीत हासिल की. वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के शैलेष पांडेय ने भाजपा के कद्दावर नेता अमर अग्रवाल को 11221 मतों से पराजित कर पहली बार विधायक बने. चुनाव में शैलेष पांडेय ने 67896 मत हासिल किए थे. वहीं भाजपा के अमर अग्रवाल को 56675 मत मिले थे. जेसीसीजे के प्रत्याशी बृजेश साहू को महज 3641 मत ही मिले थे.

क्षेत्र की मुख्य समस्या

बिलासपुर विधानसभा की समस्या अक तरफ प्रदेश के अन्य विधानसभा की ही तरह नाली, सड़क और पानी को लेकर हैं, तो दूसरी ओर लंबे समय से खोदापुर की छवि को लेकर है. मतदाताओं के एक वर्ग का मानना है कि चार सालों में समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं, तो दूसरा वर्ग मानता है कि स्थिति में बदलाव आया है. पहले की तुलना में नाली और सड़कों पर काम हुआ है.

जातीय समीकरण

बिलासपुर विधानसभा ब्राह्मणों की गढ़ के तौर पर माना जाता है. पौने तीन लाख मतदाताओं में से 25 हजार मतदाता ब्राह्मण समुदाय से आते हैं. इसके अलावा मुस्लिम मतदाताओं की के साथ-साथ ओबीसी मतदाताओं की भी अच्छी-खासी संख्या है. बीते चुनाव में माना जा रहा है शैलेष पांडेय ब्राह्मण मतदाताओं की वजह से अमर अग्रवाल जैसे कद्दावर नेता को हराने में कामयाब हुए थे.

विधायक की बात

क्षेत्र के विधायक शैलेष पांडेय कहते हैं कि पूर्व विधायक ने अपने कार्यकाल में बिलासपुर को खोदापुर बना दिया था. आज बिलासपुर का नाम सम्मान से लिया जाता है. हम स्वास्थ्य, शिक्षा और अधोसंरचना के साथ लगभग हर क्षेत्र में बेहतर काम कर रहे हैं.

विपक्ष का आरोप

2018 से पहले बिलासपुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता अमर अग्रवाल कहते हैं कि बिलासपुर माफियाओं के हाथ में चला गया है, चाहे वह जमीन माफिया हो, चाहे वह रेत माफिया हो. अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि कही भी चाकू मारी हो रही है, कभी भी कुछ हो रहा है. आम जनता अपने जान-माल को लेकर असुरक्षित महसूस कर रही है. मेरा मानना है कि ऐसा जनप्रतिनिधि जो जनता को सुरक्षा नहीं दे सके, उसे जनप्रतिनिधि रहने का हक नहीं है.

क्या कहती है जनता ?

विधायक के परफॉमेंस को लेकर जनता की मिलीजुली प्रतिक्रिया है. मतदाताओं के एक वर्ग का मानना है कि 15 साल के गड्ढे को पाटने में समय लगेगा. नाली-सड़कों के साथ शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा काम किया गया है. वहीं मतदाताओं के दूसरे वर्ग का मानना है कि शहर में बीते चार सालों में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हुआ है. बल्कि चार सालों में बिलासपुर अपराध का गढ़ बन गया है. इसके पीछे मुख्य वजह युवाओं में बढ़ती नशाखोरी है, जिस पर पुलिस लगाम कसने में नाकाम साबित हुई है.

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