वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के गठन के बाद हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने एक के बाद एक चुनाव में जीत हासिल कर लोगों के बीच अपनी पैठ को साबित किया. लेकिन वर्ष 2018 में आए राजनीतिक भूचाल ने पूरी सोच को बदलकर रख दिया. मतदाताओं ने एकतरफा कांग्रेस को वोट देकर भाजपा को हाशिए पर खड़ा कर दिया. इस भूचाल में भाजपा के कुछ नेता अपनी सीट बरकरार रखने में कामयाब रहे, इनमें से एक बिल्हा के विधायक धरम लाल कौशिश शामिल हैं. लल्लूराम डॉट कॉम ने बिल्हा विधानसभा के मतदाताओं के बीच पहुंचकर विधायक के कामकाज का हिसाब-किताब लिया.

कुर्मी समाज का दबदबा

बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में सिरगिट्टी, तिफरा जैसे इलाके बिलासपुर नगर निगम नगर हैं, तो वहीं बिल्हा, पथरिया, सरगांव और बोदरी नगर पंचायत भी शामिल हैं. बिलासपुर शहर से लगा चकरभाठा एक बड़ा व्यापारिक केंद्र है. हाई कोर्ट, एयरपोर्ट भी इसी बिल्हा विधानसभा इलाके में शामिल है. बिल्हा विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2,90,329 है, जिसमें से बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में 1,46,981 पुरुष और 1,43,337 महिला मतदाता हैं. 11 मतदाता अन्य श्रेणी में आते हैं. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में कुर्मी समाज के विधायक का कब्जा रहा है. भाजपा के धरम लाल कौशिक और कांग्रेस से सियाराम कौशिक चुनाव जीतते रहे हैं.

विधानसभा का इतिहास

बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा-कांग्रेस व अन्य के बीच टक्कर रही है, लेकिन पिछले बार 2018 में त्रिकोणीय संघर्ष रहा. भाजपा के धरम लाल कौशिक ने 84,431 वोट हासिल किए, जबकि कांग्रेस के राजेन्द्र शुक्ला को 57,907 वोट मिले. छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के सियाराम कौशिक को 29,613 वोट मिले थे. इस तरह से कौशिक ने 26,524 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. इसके पहले 2013 में कांग्रेस के सियाराम कौशिक ने धरम लाल कौशिक को हराकर बिल्हा विधानसभा में कब्जा किया था. वहीं 2008 के विधानसभा चुनाव में धरम लाल कौशिक ने सियाराम कौशिक को शिकस्त दी थी.

बिल्हा के सियासी इतिहास की बात करें तो 1962 से 1985 तक लगातार कांग्रेस के चित्रकांत जायसवाल ने यहां से चुनाव जीतते रहे, लेकिन 1990 में अशोक राव ने कांग्रेस से बगावत की और जनता दल की टिकट पर चुनाव लड़कर यहां कांग्रेस के चित्रकांत जायसवाल को मात दी. 1993 में अशोक राव दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए और बीजेपी के धरमलाल कौशिक को हराया. 1998 में पहली बार यहां से धरमलाल कौशिक ने बीजेपी से जीत हासिल की.

विधायक का दावा

बिल्हा के विधायक धरम लाल कौशिश का दावा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में शिक्षा के क्षेत्र में, खासतौर से ग्रामीण इलाकों में, बहुत काम किया है. सारागांव में कॉलेज की स्थापना से लेकर पथरिया में कॉलेज भवन का निर्माण, चार सौ सीटर छात्रावास, दो कस्तूरबा आवास विद्यालय, दो मॉडल स्कूल और 22 हाई और हायर सेकंडरी नवीन शाला खोलने का काम किया है. इसके अलावा आवागमन और चिकित्सा के क्षेत्र में भी बहुत काम किया गया है. ताला को पर्यटन के लिहाज से प्रदेश के मानचित्र में लाने का काम किया गया है. विधायक ने दावा किया कि उनके कार्यकाल में विकास का जितना काम किया गया है, वह कभी नहीं हुआ, जिसकी वजह से लोगों का आशीर्वाद मिलता रहा है.

विपक्ष का आरोप

कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक प्रत्याशी राजेंद्र शुक्ला का आरोप लगाते हैं कि प्रदेश में 15 साल तक भाजपा की सरकार रही लेकिन विधायक कोई काम नहीं करवा पाए, और अब बीते साढ़े चार सालों से कांग्रेस सरकार पर काम नहीं कराने का आरोप लगाते हैं. छोटे-छोटे कामों को लेकर विधानसभा – कलेक्ट्रेट पहुंच जाते हैं. दगौरी में बाबा तालाब को भरने की ग्रामीणों की मांग को विधानसभा में उठाते हैं. छोटा सा ढड़हा रोड है, जिसके लिए विधायक मोटरसाइकिल में बैठकर कलेक्ट्रोरेट जाते हैं. सवाल यह है कि यह काम नहीं हुआ तो 15 साल तक सरकार में रहते हुए क्या काम कराया.

मूलभूत समस्याएं मुख्य मुद्दा

बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में गांव में सड़क, बिजली, पानी, चिकित्सा, शिक्षा सुविधा जैसी मूलभूत समस्या मुख्य मुद्दा है. जातिगत समीकरण भी चुनाव पर खासा प्रभाव डालती है. बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में बिलासपुर शहर से सटे इंडस्ट्रियल इलाके के लोग इंडस्ट्रीज में काम कर जीवन यापन करते हैं, तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह धान की खेती पर निर्भर हैं, इसलिए किसानों की समस्या पर प्रमुख रूप से चुनावी फोकस होता है, किसानों के लिए सिंचाई के साधन, धान खरीदी पर किसानों का जोर है.

सरकार नहीं तो क्या करें विधायक

बिल्हा विधानसभा के मतदाता विधायक धरम लाल कौशिक के कामकाज को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया देते हैं. एक वर्ग विधायक के काम कराए जाने की बात कहते हैं, तो वहीं दूसरा वर्ग कामकाज नहीं होने की बात कहता है. मतदाता मानते हैं कि विधायक की सरकार नहीं होने की वजह से क्षेत्र में कामकाज नहीं होने की बात कहते हैं. ग्रामीण क्षेत्र में लोग पानी की समस्या की बात कहते हैं. वहीं चंद लोग नल-नाली निर्माण को लेकर शिकायत करते हैं.

नवीनतम खबरें –

इसे भी पढ़ें –