रोहित कश्यप, मुंगेली। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए अब कमोबेश छह महीने ही शेष है. ऐसे समय में वर्ष 2018 में जनता ने जिन लोगों को अपना प्रतिनिधि बनाकर विधानसभा में भेजा था, उनके साढ़े चार साल के कामकाज का लेखा-जोखा लेने का समय आ गया है. लल्लूराम डॉट कॉम विधायकों के कामकाज का जायजा लेने के लिए प्रदेश के हर विधानसभा में जनता के बीच पहुंच रहा है. ताजा कड़ी में हम मुंगेली विधानसभा पहुंचे हैं, जहां के मतदाताओं की विधायक के साथ-साथ विपक्ष की सक्रियता को लेकर राय हासिल की.

विधानसभा का इतिहास

मुंगेली विधानसभा सीट अविभाजित बिलासपुर जिले के सबसे बड़े व पुराने तहसील में से एक है,, 2008 के पहले इस सीट को अविभाजित मध्यप्रदेश के समय में जरहागांव के नाम से जाना जाता था. 2013 विधानसभा चुनाव के पहले चुनावी ब्रम्हास्त्र के रूप में भाजपा सरकार ने छत्तीसगढ़ में नौ नये जिलों का गठन किया गया था, जिसमे से एक मुंगेली जिला था. मुंगेली विधानसभा इस मायने में भी हाईप्रोफाइल कही जाती है, क्योंकि यह बीजेपी के कद्दावर नेता पुन्नूलाल मोहले और भाजपा का गढ़ कहा जाता है. कांग्रेस की आंधी में भी 2018 में अपनी सीट बचाने में पुन्नूलाल मोहले कामयाब रहे और मौजूदा विधायक भी है.

पुन्नूलाल मोहिले का एकछत्र राज

मुंगेली विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, यहां 65 फीसदी सतनामी समाज के वोटर है, बाकी अन्य समाज के वोटर है. इस लिहाज से मुंगेली विधानसभा का भाग्य सतनामी समाज ही तय करते है. वहीं बात की जाए पिछले चुनाव की तो शहरी मतदाताओं ने निर्णायक भूमिका निभाई थी. हालांकि, मुंगेली विधानसभा में वर्तमान में बीजेपी काबिज है यहाँ मौजूदा विधायक पुन्नूलाल मोहले हैं, जो कि राजनीति के अजेय योद्धा माने जाते है. बचपन से राजनीति से जुड़े पुन्नूलाल मोहले की सामाजिक पकड़ मजबूत होने के कारण आरक्षित सीट पर काबिज हैं. वर्तमान विधायक पुन्नूलाल मोहले 4 बार विधानसभा और 3 बार संसद जा चुके हैं.

2018 के चुनाव में मुंगेली विधानसभा क्षेत्र में भाजपा-कांग्रेस व जेसीसीजे के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला था आलम भाजपा -कांग्रेस के बीच टक्कर में जोगी कांग्रेस के चंद्रभान बारमते ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया था, जिसकी वजह से बीजेपी सीट बचाने में कामयाब रही. 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के पुन्नूलाल मोहले ने 60469 वोट हासिल किए, वहीं कांग्रेस के राकेश पात्रे को 51982 वोट मिले. इस तरह भाजपा के पुन्नूलाल मोहले 8487 वोट से जीते थे.

विधायक का दावा

मुंगेली विधानसभा से विधायक पुन्नूलाल मोहले ने लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा में बताया कि गांव में नाली-सड़क की समस्या प्रमुख रहती है, जिसका 70-80 कार्य पूरा हो चुका है. सरकार का सहयोग मिलता तो पूरा 100 प्रतिशत काम होता. सरकार से सहयोग नहीं मिलने के बाद भी हम काम कराने में सफल रहे.

विपक्ष का आरोप

पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी राकेश पात्रे आरोप लगाते हैं कि विधायक सोते रहते हैं. ऐसा कहीं प्रतीक नहीं होता कि वे जनता के काम के लिए सहयोग कर रहे हैं. खासतौर से कलेक्टोरेट या अन्य कार्यालयों में समस्या लेकर आने वाले लोगों को उनका सहयोग मिले, ऐसा प्रतीत नहीं होता है.

किसानों के मुद्दा हावी

मुंगेली विधानसभा क्षेत्र के गांवो में आज भी सड़क, बिजली, पानी, चिकित्सा, शिक्षा सुविधा जैसी मूलभूत समस्या प्रमुख मुद्दा है. जातिगत समीकरण यहाँ के चुनाव पर प्रभाव तो डालता ही है. मुंगेली विधानसभा क्षेत्र में आज भी बड़ी संख्या में पलायन कर लोग राज्य के दूसरे कोने या दीगर राज्यो में रोजी-रोटी कमाकर जीवन यापन कर रहे हैं. यहां औद्योगिक क्षेत्र का अभाव है, जिसके चलते ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि कार्य पर निर्भर हैं, इसलिए किसानों के मुद्दों पर पर प्रमुख रूप से चुनावी फोकस होता है. किसानों के लिए सिंचाई के साधन, और धान खरीदी कार्यो पर किसानों का ज्यादा जोर नजर आता है.

विपक्ष में होने का खामियाजा

जनता भाजपा विधायक पुन्नूलाल मोहले के कामकाज से संतुष्ट नजर आती है. वहीं उनका मानना है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार होने की वजह से भाजपा विधायक के कार्यों को प्राथमिकता नहीं मिलती है. विधायक लोगों से जुड़े रहते हैं, क्षेत्र का दौरा करने के साथ-साथ लोगों के सामाजिक कार्यों में अपनी सहभागिता निभाते हैं.