वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के गठन को लगभग साढ़े चार साल पूरे हो चुके हैं, अब नए विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है. एक तरफ चुनाव को बिना किसी बाधा के सुचारू तौर पर संपन्न कराने के लिए शासन-प्रशासन की तैयारी चल रही है, तो वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दल चुनाव में सफलता हासिल करने के लिए अपनी रणनीति बनाने में जुटी हुई हैं. ऐसे समय में लल्लूराम डॉट कॉम जनता जनार्दन के पास पहुंच साढ़े चार साल पहले चुने गए प्रत्याशियों का बहीखाता तैयार कर रहा है. अबकी बार लल्लूराम डॉट कॉम पामगढ़ विधानसभा पहुंचा है.

विधानसभा का इतिहास

जांजगीर-चाम्पा जिले का पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 5 हजार 564 है, इनमें से 1 लाख 5 हजार 943 पुरुष मतदाता हैं, वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 99 हजार 620 है, थर्ड जेंडर का भी 1 वोटर है. पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में क्षेत्र में दो ब्लॉक के 112 गांव आते हैं. पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 4 नगर पंचायत शामिल है.

छत्तीसगढ़ राज्य गठन से पूर्व अविभाजित मध्यप्रदेश में शुरुआती दौर में इस सीट में कांग्रेस का कब्जा रहा, लेकिन 90 के दशक से यह बसपा का गढ़ बन गया है. वर्तमान में बसपा से इंदु बंजारे पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. पामगढ़ विधानसभा सीट से अब तक एक बार ही बीजेपी को जीत हासिल हुई है.

विधानसभा की लगातार बदलती राजनीतिक तस्वीर

पामगढ़ विधानसभा छत्तीसगढ़ के उन गिनी चुनी सीटों में से है, जहाँ बसपा का दबदबा है. कभी कांग्रेस का गढ़ रहे पामगढ़ विधानसभा में बीते 3 दशकों में कांग्रेस केवल एक बार ही चुनाव जीत पाई है, वहीं अब तक हुए चुनाव में मात्र एक बार ही बीजेपी का विधायक चुना गया है.

पामगढ़ विधानसभा के चुनावी इतिहास को देखा जाए तो वर्ष 1990 के पूर्व यह सीट कांग्रेस के गढ़ माना जाता था. 1990 में बसपा के दाऊराम रत्नाकर विधायक बने, उसके बाद दो बार और विधायक बनने में कामयाब रहे, इस तरह दाऊराम रत्नाकर क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक रहे.

वर्ष 2003 में कांग्रेस ने शिवरीनारायण मठ के महंत राजेश्री रामसुंदर दास को मैदान में उतारा और वे कांग्रेस को जीत दिलाने में सफल रहे, लेकिन उसके बाद से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ रहा है. इसी तरह वर्ष 2013 में पहली बार इस सीट से भाजपा के अंबेश जांगड़े विजयी हुए, फिर वर्ष 2018 के चुनाव में बसपा की इंदु बंजारे ने इस सीट पर जीत दर्ज की.

विधायक का दावा

पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी की विधायक इंदु बंजारे कहती हैं कि विधायक निधि से जितना हो सकता है, उतना काम किया है. सीसी रोड, नाली, भवन बनवाने का काम किया. अंतिम दुरांचल में जहां सड़कें नहीं थी, जिसकी वजह लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था. जैसे धर्पावाला से कर्मली मार्ग को प्राथमिकता में लेकर काम कराया. आजादी के बाद से सड़क नहीं थी, जहां हमने हमने प्राथमिकता के आधार पर सड़कें बनवाई है.

विपक्ष का दावा

पूर्व भाजपा विधायक अम्बेश जांगड़े कहते हैं कि सड़क, नाली, भवन जैसे कार्य तो सतत् प्रक्रिया है, उनके स्थान पर कोई दूसरा व्यक्ति भी विधायक होगा, वह भी कराएगा. आप अपनी व्यक्तिगत उपलब्धि तो बताएं. इस लिहाज में विधायक का प्रदर्शन शून्य है. वहीं कांग्रेस के विधायक प्रत्याशी गोरे लाल बर्मन कहते हैं कि इस शासनकाल का एक भी ईंट नहीं रखा गया है. पिछले सरकार के कार्यकाल के समय जो भी कार्य स्वीकृत हुए थे, वहीं कार्य आज तक चलते आ रहा है. विपक्ष में रहते हुए हमने प्रयास किया है लोगों की समस्या का निदान हो सके, लेकिन वर्तमान विधायक का काम कहीं नजर नहीं आता है.

हाथ हिलाते हुए निकल जाती हैं विधायक

लोगों का कहना है कि विधायक से कभी उनसे मुलाकात नहीं हुई है. सड़के से आते-जाते केवल हाथ हिलाते हुए निकल जाती हैं, लेकिन आज तक मतदाताओं से मुलाकात करने से परहेज करती हैं. नाली, सड़क, पानी, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं को बताया कि अस्पताल तो है, लेकिन कब खुलता है, और कब बंद होता है, इसकी कोई जानकारी नहीं है. डॉक्टर आता है, कब जाता है किसी को कोई जानकारी नहीं है.

ग्रामीण इलाका होने के कारण क्षेत्र में उद्योगधंधों की कमी है. रोजगार के साधन नहीं होने से गरीब मजदूर बड़ी तादात में पलायन करते हैं. सड़कों की स्थिति बदहाल है, बरसात के दिनों में सड़कों पर चलना दूभर होता है. पामगढ़ से रायपुर को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग सालों से अधूरा पड़ा है. पेयजल भी क्षेत्रवासियों की प्रमुख समस्या है. स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो सरकारी अस्पताल रेफर सेंटर बने हुए हैं, शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में साधन संसाधन की कमी बरकरार है.