आशुतोष तिवारी, कांकेर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के गठन को लगभग साढ़े चार साल पूरे हो चुके हैं, अब नए विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. चुनाव के लिए बचे गिनती के महीनों को देखते हुए राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारी में जुट गए हैं. लेकिन साढ़े चार साल पहले जनता ने जिन्हें अपना प्रतिनिधि चुना था, उन्होंने इस अवधि में क्या किया, इसकी जानकारी लेने लल्लूराम डॉट कॉम प्रदेश के तमाम विधानसभा में दस्तक दे रहा है. इस बार हम कांकेर विधानसभा पहुंचे हैं, जहां के कांग्रेस के विधायक शिशुपाल शोरी के प्रदर्शन पर जनता की राय जानी.
विधानसभा का इतिहास
रायपुर से 140 किलोमीटर दूर और जगदलपुर से 160 किलोमीटर दूर पर कांकेर स्थित है. वर्तमान में कांकेर जिले में 7 तहसील – कांकेर, चारामा, नरहरपुर, भानुप्रतापुर, अंतागढ़, दुर्गुकोंदल और कोयलीबेडा शामिल हैं. वहीं गांवों की कुल संख्या 1004 है, इनमें से राजस्व गांवों की संख्या 995 है, जबकि वन गांव 9 हैं. कांकेर पहले बस्तर जिले का एक हिस्सा था. वर्ष 1998 में कांकेर को एक जिला के रूप में पहचान मिली. जिले का कुल क्षेत्रफल लगभग 5285.01 वर्ग किलोमीटर है. पूरे पहाड़ी इलाके में छोटी पहाड़ी इलाकों को देखा जा सकता है. जिले से मुख्य रूप से पांच नदियों में बहती हैं, इनमें दूध नदी, महानदी, हटकुल नदी, सिंदुर नदी और तुरु नदी शामिल हैं.
कांग्रेस का गढ़
2018 कांकेर विधानसभा क्षेत्र में कुल 1 लाख 70 हजार 326 मतदाता थे. 7 प्रत्याशियों के बीच हुई लड़ाई में इस सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार शिशुपाल सोरी ने जीत हासिल की थी. शोरी ने 19 हजार 804 मतों से बीजेपी प्रत्याशी हीरा मरकाम को हराया था. इसके पहले 2013 में कांकेर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार शंकर ध्रुव ने जीत हासिल की थी. वहीं 2008 में भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार सुमित्रा मरकोले ने जीत हासिल की थी.
आदिवासियों का बोलबाला
जातिगत समीकरणों की बात करें तो आदिवासी 70 प्रतिशत, ओबीसी 20 प्रतिशत और सामान्य मतदाताओं महज 10 प्रतिशत हैं. आदिवासियों की संख्या ज्यादा होने की वजह से इस सीट से आदिवासी प्रत्याशी को मौका मिलता है. मौजूद मतदाता 1 लाख 80 हजार है, इनमें से 51 फीसदी महिला और 49 फीसदी पुरुष मतदाता है.
विधायक का बड़ा दावा
शिशुपाल सोरी का कहना है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में दो हजार करोड़ रुपए के काम स्वीकृत हुए हैं. प्रदेश में विरले ऐसे विधानसभा होंगे, जहां इतने काम विधायक ने स्वीकृत कराए होंगे. नरवा, गरुवा, घरुवा, बारी का ढेर सारा काम हुआ है. प्रदेश का पहला गांधी ग्राम पुलगांव में बना हुआ है, जहां महिलाएं अलग-अलग काम कर रही हैं.
विपक्ष का आरोप
वहीं पूर्व विधायक भाजपा की सुमित्रा मारकोले का कहना है कि सड़क-नाली का काम तो सभी विधायक-जनप्रतिनिधि कराते हैं, उनका दायित्व है, लेकिन कांकेर विधायक अपने कार्यकाल में अब तक कोई बड़ा काम नहीं करा पाए हैं. जिसकी गिनती की जा सके, जिसमें उनका नाम दिखा नजर आए.
गांवों में बिजली-पानी की समस्या
विधानसभा के शहरी क्षेत्र में लोगों की शिकायत जहां साफ-सफाई और पार्किंग को लेकर है. बस स्टैंड में गाड़ियों को खड़े करने की खासी समस्या है. वहीं ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी लोग बिजली और पानी की समस्या से ग्रसित हैं. व्यापारियों की शिकायत बाजार में शेड नहीं होने की है. वहीं दूध नदी पर पुल बनाने की दशकों पुरानी मांग को पूरा नहीं करने की ग्रामीण शिकायत करते हैं.
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