रायपुर। एमएमआई हाॅस्पीटल प्रबंधन की कमान संस्थापक सदस्यों के हाथों आने के बाद भी विवाद खत्म नहीं हुआ है. पूर्व चेयरमेन सुरेश गोयल पर मौजूदा प्रबंधन ने डराने-धमकाने का आरोप लगाया है. इस मामले में एमएमआई हॉस्पिटल प्रबंधन ने पुलिस में शिकायत दर्ज कर उचित वैधानिक कार्यवाही किये जाने की मांग की है.

संस्थापक सदस्य महेंद्र धाड़ीवाल ने कहा है कि पूर्व चेयरमेन दादागिरी पर उतर आए हैं. इधर एक आडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें पूर्व चेयरमेन प्रबंधन के लोगों को धमका रहे हैं. बता दें कि 13 सालों तक चली लंबी कानूनी लड़ाई के बाद ट्रिब्यूनल ने 11 संस्थापक सदस्यों को मान्यता देते हुए 69 सदस्यों को अवैध घोषित किया था.

दरअसल विवाद हाॅस्पीटल में सुरक्षा के लिए रखे गए बाउंसरों से जुड़ा है. आरोप है कि पूर्व चेयरमेन ने बाउंसरों को हटाने प्रबंधन पर दबाव बनाने की कोशिश की है. उन्होंने प्रबंधन से जुड़े लोगों को फोन कर धमकी दी है कि यदि बाउंसर नहीं हटाए गए, तो नर्सों के जरिए उन पर छेड़छाड़ के झूठे आरोप गढ़ दिए जाएंगे. प्रबंधन से जुड़े लोगों का मत है कि बाउंसर सुरक्षा कारणों से लगाए गए हैं, चूंकि प्रबंधन का दायित्व अब पूर्व चेयरमेन के हाथों नहीं हैं, ऐसे में उनका दखल दिया जाना औचित्यहीन है.

महेंद्र धाड़ीवाल ने बताया कि सुरक्षा के लिहाज से दो शिफ्टों में दो-दो बाउंसर रखे गए हैं. पहले जब प्रबंधन का दायित्व पूर्व चेयरमेन के पास था, तब भी बाउंसरों की तैनाती दी गई थी. हमे इस बात की आशंका है कि विवाद की वजह से कहीं हाॅस्पीटल में तोड़फोड़ ना कर दिया जाए. शाम छह बजे के बाद एडमिनिस्ट्रेशन ब्लाॅक में कोई नहीं होता. किसी तरह की एक्टिविटी नहीं होती. ऐसे में सुरक्षा कारणों के लिए बाउंसरों की तैनाती जरूरी है.

धाड़ीवाल का कहना है कि पूरी कहानी रूप और रूपयों की है. सवाल उठाने वाले लोग सब जगहों से हारकर थक गए हैं. इसलिए इस तरह से डराना-धमकाना कर रहे हैं. अश्लील टिप्पणी कर फंसाने की धमकी दे रहे हैं. हाॅस्पीटल का प्रबंधन जब तक हाथ में था, तब तक रूतबा था, सैकड़ों लोग फोन करते थे. वह प्रभाव खत्म हो गया है, इसलिए डराकर भय दिखाने की कोशिश की जाती है.

इससे पहले भी पूर्व चेयरमेन सुरेश गोयल ने मौजूदा प्रबंधन पर अवैध कब्जा और डकैती किए जाने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.. हालांकि इस मामले में अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. पुलिस के मुताबिक हाईकोर्ट के आदेश के बाद रजिस्ट्रार एंड फर्म्स सोसायटी ने संस्थापक सदस्यों के पक्ष में फैसला सुनाया था. जिला प्रशासन की मौजूदगी में कब्जे की पूरी कार्यवाही की गई थी.