पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. सप्ताह भर में मिल जाने वाली मनरेगा की मजदूरी साल भर बाद भी नहीं मिल पाई है. अब बेटी की शादी सिर पर है, ऐसे में परिवार के मुखिया ने पैसा नहीं मिलने पर परिवार सहित जनपद के मनरेगा कार्यालय में आत्मदाह करने की चेतावनी दी है.
खूटगांव पंचायत में कच्चे झोपड़ी में रहकर परिवार का भरण-पोषण करने वाले प्रभुलाल के परिवार में तीन बेटी व पत्नी है, दो छोटी बेटी को छोड़कर बड़ी बेटी शांति व पत्नी ईश्वरी बाई ने जनवरी 2018 में गांव के मनरेगा योजना में 4 सप्ताह तक काम किया था, लेकिन मजदूरी के तौर पर 7 हजार रुपए की राशि उन्हें अब तक नहीं मिली. प्रभु लाल ने बताया कि पिछले एक साल में 30 से भी ज्यादा बार बैंक और मनरेगा दफ्तर का चक्कर काट चुका है, लेकिन समस्या दूर नहीं हुई है.
उसने बताया कि बैंक के कहने पर दोबारा आईडी जमा भी करवाया फिर भी मजदूरी की राशि खाते में जमा नहीं हुई. उसने बताया कि फरवरी में बड़ी बेटी की शादी है, उसे किसी भी सरकारी योजना से मदद नहीं मिलती है. लिहाजा, मजदूरी के 7 हजार रकम भी उसके काम आ जाएगा. लिखने-पढ़ने में कमजोर होने के कारण अब तक कहीं लिखित शिकायत या मांग नहीं कर सका है. उसने कहा है कि फरवरी के पहले अगर उसे मजदूरी नहीं मिली तो परिवार समेत जनपद के मनरेगा दफ्तर में धरना देगा, इसके बाद भी रकम नहीं मिली तो वह परिवार सहित आत्मदाह कर लेगा.
मामले में मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी एलके वर्मा ने कहा कि बैंक खाते में मिलान या बैंकिग त्रुटि के चलते 150 परिवार का सवा तीन लाख का भुगतान साल भर से अटका है. मनरेगा की ओर से खाते में रुपए भेजने की सारी प्रक्रिया पूरी है. बैंक के कुछ फार्मलिटी हितग्राही परिवार की ओर से पूरे नहीं किए गए हैं. उसके पूरे होते ही खाते में स्वमेव राशि जमा हो जाएगी.