रायपुर। स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले अगर फोन घर पर भूल जाएं तो उन्हें लगता है कि इसके बगैर वो बाहर क्या होगा। अपनी उपयोगिताओं के अलावा अनजाने में ही लोग मोबाइल फोन की अनुपस्थिति में असहज होने लगते हैं। दुनियाभर में हुए कई शोध से पता चलता है कि यदि कोई लगातार स्मार्टफोन का इस्तेमाल करता है, वह ‘नोमोफोबिया’ बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। इस बीमारी के पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है।

विशेषज्ञों के मुताबिक इस खतरे से अभिभावक अनजान हैं और उन्होंने अपने बच्चों के भविष्य और स्वास्थ्य को लेकर गंभीरता से सोचना शुरू कर देना चाहिए। अभिभावकों को शायद यह अंदाजा ही नहीं है कि मोबाइल फोन की लत उनके बच्चों के लिए भयंकर शारीरिक तकलीफें ला सकता है।

नोमोफोबिया की बीमारी क्या है

स्मार्टफोन की लत को नोमोफोबिया कहते हैं। यह इस बात का फोबिया (डर) है कि कहीं आपका फोन खो न जाए या आपको उसके बिना न रहना पड़े। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को ‘नोमोफोब’ कहा जाता है। दुनियाभर में हुए एक सर्वे में 84 फीसदी स्मार्टफोन उपभोक्ताओं ने स्वीकार किया कि वे एक दिन भी अपने फोन के बिना नहीं रह सकते हैं। स्मार्टफोन की इस लत यानि नोमोफोबिया हमारे शरीर के साथ-साथ हमारे दिमागी सेहत को भी प्रभावित करता है।

नोमोफोबिया से बचाव के उपाय

अच्छी खबर यह है कि नोमोफोबिया से बचने का उपाय भी है. अगर आप अपने स्मार्टफोन या डिजिटल डिवाइस से अलग होने पर चिंता या भय का अनुभव कर रहे हैं, तो उस फोन पर या डिवाइस पर धीरे- धीरे अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश करें. एक टाइम तय करें और उस लिमिटेड टाइम में ही अपने डिवाइस का इस्तेमाल करें. तनाव और चिंता को दूर करने के लिए माइंडफुलनेस और रिलैक्सेशन तकनीकों की प्रैक्टिस करें जैसे कि व्यायाम, हॉबीज या दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना. ऐसा करना, आपको अपने डिवाइस से डिस्कनेक्ट करने और उस पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद कर सकता है. इसके अलावा, अगर आप नोमोफोबिया से संबंधित गंभीर चिंता या परेशानी का अनुभव कर रहे हैं, तो मेंटल हेल्थ स्पेशलिस्ट से मुलाकात करें.

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