अभय मिश्रा, मऊगंज। Ayodhya road accident update.: बेलहई गांव से रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या जा रहे एक बड़े संयुक्त परिवार पर गुरुवार तड़के दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। अयोध्या से महज 10 किलोमीटर पहले उनकी बोलेरो गाड़ी एक ट्रैक्टर-ट्रॉली से टकरा गई। यह टक्कर इतनी भीषण थी कि मौके पर ही एक महिला और बच्ची सहित वाहन चालक की मौत हो गई। जबकि आठ सदस्य गंभीर रूप से घायल हैं। इस हृदय विदारक घटना से भी बड़ी त्रासदी यह रही कि हादसे के बाद पीड़ितों के तीन मोबाइल और कई पर्स गायब मिले, जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया।

एकता की मिसाल माना जाने वाला परिवार बिखर गया

बेलहई गांव का यह परिवार तीन भाइयों का 14 सदस्यीय बड़ा संयुक्त परिवार है, जो अपनी एकता और सौहार्द के लिए जाना जाता था। हर खुशी, हर त्योहार एक साथ मनाए जाते थे। 10 दिसंबर की रात करीब 11 बजे परिवार के 10 सदस्य बोलेरो से अयोध्या के लिए निकले थे, लेकिन गुरुवार सुबह 5 बजे हुए हादसे ने सब कुछ खत्म कर दिया। हादसे में मीराबाई पटेल, अंकिता पटेल और वाहन चालक रामयश मिश्रा की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। घायल हुए 8 सदस्यों में से शशी पटेल, चंद्रकली पटेल, चित्रसेन पटेल और उनका बेटा दीपक पटेल की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।

लाशें पड़ी थीं, लोग मोबाइल चुरा ले गए

हादसे से गहरे सदमे में डूबे परिजनों के बयान ने सभी को झकझोर कर रख दिया। उन्होंने बताया कि मौके पर तीन मोबाइल फोन और कई पर्स गायब पाए गए। परिजनों ने पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, लाशें पड़ी थीं… और लोग मोबाइल उठा ले गए। मानवता सच में मर गई है।

पापा… मैं शादी के बाद आ जाउंगी

मृतिका अंकिता पटेल (जो अपने मामा के बेटे की शादी के लिए गुजरात से घर आई थीं) के पिता सरोज मणि पटेल के आंसू रुक नहीं रहे हैं। अहमदाबाद में सुरक्षा गार्ड के रूप में कार्यरत पिता ने बताया कि 16 नवंबर को उन्होंने अंकिता को आखिरी बार स्टेशन तक छोड़ा था। जाते-जाते बस इतना बोली- ‘पापा, शादी के बाद आ जाउंगी।’ आज मेरी बेटी ही नहीं रही। पिता को सुबह 7 बजे पुलिस से हादसे की खबर मिली, जिसके बाद वह बनारस की फ्लाइट पकड़कर भागे। इलाहाबाद में पूरी रात अपने परिजनों का इंतजार करते रहे और सुबह बेटी के शव के साथ आने पर दोनों भाई गले लगकर रो पड़े।

चावल-दाल रखी है, दोपहर में गरम कर लेना

मीराबाई पटेल के पति, महेंद्र मणि पटेल का दर्द भी कम नहीं है। रात 11 बजे उन्होंने अपनी पत्नी को अयोध्या के लिए छोड़ा था। महेंद्र पटेल रुलाई रोकते हुए कहते हैं, जाते-जाते बोली थीं, ‘दूध, कॉफी-शक्कर रखी है… चावल-दाल रखी है, दोपहर में गरम कर लेना।’ मुझे क्या पता था कि यह हमारी आखिरी मुलाकात होगी।अगले दिन जब बेटे ने फोन पर बताया, पापा… मां अब नहीं रहीं, तो उनका संसार उजड़ गया।

दो साल का मासूम पूछ रहा- ‘मां कहां है?’

यह हादसा इस पूरे परिवार को तोड़ चुका है। किसी की पत्नी आईसीयू में है, तो किसी का बेटा गंभीर। दो साल का मासूम शिवांश पटेल लगातार रो रहा है। उसे अब तक यह नहीं बताया गया कि उसकी मां शशी पटेल अस्पताल में हैं और दादी मीराबाई कभी वापस नहीं आएंगी।

गांव में छाया मातम, प्रशासन से मदद की गुहार

शुक्रवार को जब मीराबाई और अंकिता पटेल के शव गांव पहुंचे, तो सैकड़ों लोग फफककर रो पड़े। हर शख्स यही कह रहा था कि भगवान के दर्शन करने निकले परिवार की किस्मत में यह त्रासदी लिखी थी। वाहन चालक रामयश मिश्रा का भी उनके गृह ग्राम बधवा में अंतिम संस्कार किया गया।

परिवार अब प्रशासन से गुहार लगा रहा है, क्योंकि घायल शशी पटेल, चंद्रकली पटेल, चित्रसेन पटेल और दीपक पटेल अभी भी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। परिवार के लोग लगातार अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं और सभी के जल्द ठीक होने की प्रार्थना कर रहे हैं।

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