Mock Drill in Rajasthan: जयपुर। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव, खासकर पहलगाम आतंकी हमले के बाद, केंद्र सरकार ने देशभर में सुरक्षा तैयारियों को परखने के लिए 7 मई को मॉक ड्रिल का आयोजन किया. इस अभ्यास का मकसद संभावित आतंकी हमले या अन्य सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए नागरिकों और प्रशासन को तैयार करना है. देश के 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 244 सिविल डिफेंस जिलों में यह मॉक ड्रिल आयोजित की गई, जिसमें राजस्थान के 28 स्थान शामिल हैं. इन स्थानों को संवेदनशीलता के आधार पर तीन श्रेणियों (A, B, और C) में बांटा गया है, जिसमें कोटा और रावतभाटा को सबसे संवेदनशील ‘A श्रेणी’ में रखा गया है.

राजस्थान में मॉक ड्रिल के स्थान (Mock Drill in Rajasthan)
श्रेणी A: कोटा, रावतभाटा (चित्तौड़गढ़ जिला)
श्रेणी B: जयपुर, अजमेर, अलवर, भरतपुर, बीकानेर, जोधपुर, श्रीगंगानगर, जैसलमेर, उदयपुर, सीकर, सूरतगढ़ सहित 18 स्थान
श्रणनी C: फुलेरा, ब्यावर, जालौर, नागौर, पाली सहित 8 स्थान
कोटा क्यों है खास?
कोटा, जिसे कोचिंग सिटी के नाम से जाना जाता है, भले ही पाकिस्तान सीमा से दूर हो, लेकिन सामरिक महत्व के कारण इसे A श्रेणी में शामिल किया गया है. इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं:
रावतभाटा का परमाणु केंद्र: कोटा से करीब 50 किलोमीटर दूर चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित रावतभाटा भारत का एक प्रमुख परमाणु ऊर्जा केंद्र है. यहां 7 परमाणु रिएक्टर बिजली उत्पादन कर रहे हैं, और आठवां रिएक्टर अगले साल शुरू होने वाला है. इससे रावतभाटा की बिजली उत्पादन क्षमता 2,580 मेगावाट तक पहुंच जाएगी. इस केंद्र की सुरक्षा राष्ट्रीय स्तर पर अहम है.
चंबल नदी के बांध: कोटा चंबल घाटी परियोजना के तहत बने तीन प्रमुख बांधों—कोटा बैराज, राणा प्रताप सागर, और जवाहर सागर बांध—का केंद्र है. ये बांध न केवल बिजली और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी संवेदनशील हैं.
मॉक ड्रिल का महत्व
मॉक ड्रिल के दौरान कोटा में घायल व्यक्तियों को सुरक्षित निकालने का अभ्यास किया गया. यह अभ्यास अंतरराष्ट्रीय सीमाओं, परमाणु केंद्रों, बांधों, और घनी आबादी वाले क्षेत्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया गया. राजस्थान के अन्य शहरों में भी इसी तरह के अभ्यास हुए, लेकिन कोटा और रावतभाटा की संवेदनशीलता ने इसे विशेष महत्व दिया.
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