लखनऊ. मुगल बादशाह शाहजहां के बाद अपनी बीवी की याद में यूपी के बुलंदशहर में दूसरा ताजमहल बनवाने वाले पोस्टमास्टर फैजुल हसन कादरी अब इस दुनिया में नहीं रहे. उनकी मृत्यु के बाद उनके शव को उसी तरह दफनाया गया है, जैसे आगरा में शाहजहां अपनी बेगम मुमताजमहल के पास दफनाए गए थे.
हसन उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में डिबाई कस्बे के केसर कलां के रहने वाले थे. वे 83 वर्ष थे और रिटायर्ड पोस्टमास्टर थे. सड़क दुर्घटना में हसन की मौत हो गई. केसर कलां में ही एक अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मारी थी. परिजन उन्हें अस्पताल भी ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें अलीगढ़ रेफर कर दिया. अलीगढ़ मेडिकल कालेज में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया. उनके निधन से पूरे इलाके में शोक की लहर है.
आगरा का ताजमहल तो दुनिया के 7 अजूबों में शामिल है ही और शाहजहां व मुमताज के प्रेम का गवाह भी माना जाता है. मगर, बताया जाता है कि हसन ने भी अपनी बीवी से किये वायदे के मुताबिक उनकी याद में ताज-सा मकबरा बनवा दिया. यह मकबरा वैसे तो ताज के मुकाबले बहुत छोटा है और आकर्षक भी नहीं है, लेकिन इसे बनवाकर हसन ने दूसरा ताज बनवाने की सुर्खियां बटोर लीं.
जब हसन से उनके ताज बनवाने की कहानी पूछी गई, तो उन्होंने बातें बताई थीं. उन्होंने कहा था कि उनके इस ताजमहल को बनवाने के लिए किसी आर्केटेक्ट की मदद नहीं ली. आगरा के ताजमहल के फोटो को देखकर गांव के राजमिस्त्री से ही इस ताज को बनवाया. हसन के मुताबिक, बहुत कम उम्र में उनका निकाह तजुब्बरी बेगम से हुआ था. तजुब्बरी उन्हें बेहद खूबसूरत लगती थी. बदकिस्मती से उनके कोई औलाद नहीं हुई, मगर उससे किए वायदे को देख हसन ने उसके बाद दूसरी शादी भी नहीं की. उन्होने तजुब्बरी से कहा था कि वे भी शाहजहां जैसा कुछ ऐसा करेंगे जिससे दुनिया उनकी मुहब्बत को याद रखे. बता दें कि, हसन ने बेगम से 1953 में निकाह किया था. 2011 में तजुब्बरी की मृत्यु गले के कैंसर की वजह से हुई थी. जिसके बाद कादरी ने अपनी सारी कमाई उनकी याद में ताजमहल की तर्ज पर मकबरे को बनाने में खर्च कर दी.
जब अगस्त 2015 में हसन के इस ताजमहल के बारे में तब के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सुना तो उन्होंने हसन को लखनऊ बुलवाया. अखिलेश ने उनकी खूब तारीफ की थी.