Modi 3.0 Govt: देश में तीसरी बार मोदी सरकार बन चुकी है. नई सरकार में पीएम मोदी समेत कुल 72 मंत्रियों ने रविवार को मंत्री पद की शपथ ली.आज मंत्रियों को उनके विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया है. बता दें कि पिछली सरकार के टॉप मंत्रियों के विभागों में कोई बदलाव नहीं किया गया है और सभी प्रमुख मंत्री उन्हीं विभागों में काम करते रहेंगे.

ओडिशा से राज्यसभा सांसद अश्विनी वैष्णव को रेल, सूचना और प्रसारण मंत्री, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री बनाया गया है. धर्मेंद्र प्रधान शिक्षा मंत्री तो वहीं ओडिशा के लोकप्रिय आदिवासी चेहरे और छह बार के सुंदरगढ़ के सांसद जुएल उरांव को जनजातीय मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है. आइए जानते है अब तक कैसा रहा है इन नेताओं का राजनीतिक सफर.

अश्विनी वैष्णव का पॉलिटिकल करियर

पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में रेल मंत्री रहने के साथ अश्विनी वैष्णव इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भी संभाल चुके हैं, हालांकि वे ओडिशा से राज्यसभा सांसद हैं लेकिन मूलरूप से वे राजस्थान के रहने वाले हैं. उनका जन्म पाली जिले में रानी के जीवनंद कलां गांव में हुआ था. बाद में उनका पूरा परिवार जोधपुर में जाकर बस गया था. जोधपुर के जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी से उन्होंने ग्रेजुएशन किया. बाद में आईआईटी कानपुर से एम.टेक करने के बाद सिविल सेवा की तैयारी में जुट गए थे.

ओडिशा कैडर के आईएएस रहे हैं अश्विनी वैष्णव

अश्विनी वैष्णव वर्ष 1994 बैच के आईएएस अफसर रहे हैं.उन्हें ओडिशा कैडर अलॉट हुआ था. वे बालासोर और कटक जिले के कलेक्टर भी रहे हैं. वर्ष 2003 तक उन्होंने ओडिशा में कार्य किया. बाद में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्हें पीएमओ में उपसचिव बनाया गया था. बाद में वे उनके निजी सचिव भी बन गए थे। वर्ष 2004 एनडीए केंद्र की सत्ता से बाहर हो गया था. इसके कुछ सालों बाद वर्ष 2010 में उन्होंने आईएएस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया.

पूर्व आईएएस रहे अश्विनी वैष्णव का निर्वाचन क्षेत्र ओडिशा है. वे बीजू जनता दल के सहयोग के निर्विरोध राज्यसभा सांसद चुने गए. पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में रेल मंत्रालय संभाल चुके अश्विनी वैष्णव का राजस्थान से विशेष जुड़ा रहा है. पिछले चार पांच सालों में वे कई बार राजस्थान का दौरा कर चुके हैं और विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हो चुके हैं. हालांकि वे ओडिशा से राज्यसभा सांसद हैं लेकिन उन्हें मंत्री बनाकर राजस्थान कोटे में भी गिना जा सकता है.

धर्मेंद्र प्रधान का पॉलिटिकल करियर

केंद्रीय शिक्षा मंत्री और संबलपुर से सांसद धर्मेंद्र प्रधान ने बीजेपी के ओडिया अस्मिता अभियान की अगुआई की थी. प्रधान 10 साल तक केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री और शिक्षा मंत्री रह चुके हैं. प्रधान ने 2000 में विधायक चुने जाने के बाद राजनीति में अपना करियर शुरू किया था. 2004 में वे ओडिशा के देवगढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए. 2009 में वे पल्लाहारा विधानसभा सीट से हार गए. इसके बाद वे बिहार और फिर मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए. उन्होंने बिहार में चुनाव प्रभारी और कर्नाटक, उत्तराखंड, झारखंड और ओडिशा में पार्टी मामलों के प्रभारी के तौर पर भी काम किया है.

जुएल उरांव का पॉलिटिकल करियर

बात करें जुएल उरांव की तो वे साल 1990 से लेकर 1998 तक दो बार उड़ीसा विधान सभा के सदस्‍य रहे. फिर वे सुदरगढ़ से भाजपा जिला उपाध्‍यक्ष, ओडिशा से राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष, भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्‍ट्रीय सचिव, ओडिशा राज्‍य में भाजपा अध्‍यक्ष रहे.

उरांव पहली बार साल 1998 में लोकसभा का चुनाव जीता था और साल 1999 के चुनाव में जीत हासिल कर वे केंद्र सरकार में आदिवासी मामलों के कैबिनेट मंत्री बने. वह राजभाषा समिति, उद्योग संबंधी स्‍थायी समिति और परामर्शदात्री समिति के सदस्य भी रहे हैं. साल 2004 में जुएल उरांव एक बार फिर सांसद बने और 2009 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2014 में उन्होंने एक बार फिर से जीत हासिल की और उसके बाद 2019 में भी उन्हें सुदरगढ़ सीट पर जीत हासिल हुई थी.

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