रायपुर. मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा एक बार फिर उजागर हुआ है. इस बार वो छत्तीसगढ़ के किसानों को लेकर बेनकाब हुई है. मोदी सरकार ने राज्य सरकार द्वारा किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना में अतरिक्त राशि देने पर ऐतराज जताते हुए उसका केंद्रीय पूल का कोटा 40 फीसदी कम कर दिया है.

मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ के चावल का कोटा 40 लाख मीट्रिक टन से घटाकर 24 लाख मीट्रिक टन कर दिया है. मोदी सरकार ने इस साल राज्य से 40 लाख मीट्रिक टन चावल केंद्रीय पूल में लेने की बात कही थी लेकिन अब उसने इसे घटाकर 24 लाख मीट्रिक टन कर दिया है.

गौरतलब है कि प्रदेश में धान खरीदी को लेकर सियासत गर्म है. भूपेश बघेल ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से बात की. पीयूष गोयल ने बातचीत में बोनस को लेकर आशंका व्यक्त की थी. इसे लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य के भाजपा नेताओं खासतौर से रमन सिंह पर आरोप लगाया था कि उनकी साज़िशों की वजह से इसमें अड़चन आई है. भूपेश बघेल ने पीयूष गोयल को बताया था कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना केंद्र की किसान सम्मान निधि की तरह है. ये प्रति एकड़ फसल पर दिया जा रहा है. जिसमें गन्ना और मक्के के किसान भी शामिल हैं.

केंद्र सरकार का जनसंपर्क विभाग ने जारी प्रेस रिलीज में बताया गया है कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना को मोदी सरकार ने अप्रत्यक्ष बोनस माना है. केंद्र ने छत्तीसगढ़ सराकर के 17 दिसबंर को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के छपे विज्ञापन को आधार बनाया है जिसमें 2500 रुपये में धान खऱीदने की बात कही गई थी.

केंद्र सरकार ने कहा है कि पहले जो चावल लेने का कोटा तय हुआ था. उसमें छत्तीसगढ़ सरकार से पूछा गया था कि वो धान पर बोनस दे रही है या नहीं. मज़ेदार बात है कि बोनस न देने का कारण ये बताया गया है कि एकरुपता के साथ किसानों को मदद मिल सके.

केंद्र ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र सरकार के बीच एमओयू के क्लॉज 3 में इस बात का साफ उल्लेख है कि अगर राज्य सरकार सीधे या परोक्ष रुप से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बोनस देती है तो अतरिक्त मात्रा को केंद्रीय पूल से बाहर माना जाएगा.