केंद्र सरकार ने बुधवार को हुई अपनी कैबिनेट में किसानों से जुड़े पांच बड़े फैसले लिए हैं। सरकार ने धान, कपास, सोयाबीन, अरहर समेत खरीफ की 14 फसलों की मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) 50 फीसदी बढ़ा दी है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि धान की नई MSP 2,369 रुपए तय की गई है, जो पिछली MSP से 69 रुपए ज्यादा है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि खरीफ विपणन सीजन 2025-26 के लिए एमएसपी को कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई है। कुल राशि लगभग 2,07,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

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क्या है MSP या मिनिमम सपोर्ट प्राइस ?

मिनिमम सर्पोट प्राइस यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वो गारंटीड मूल्य है जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हो। इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का असर किसानों पर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे।

MSP में 23 फसलें शामिल हैं:

  • 7 प्रकार के अनाज (धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी और जौ)
  • 5 प्रकार की दालें (चना, अरहर/तुअर, उड़द, मूंग और मसूर)
  • 7 तिलहन (रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम, निगरसीड)
  • 4 व्यावसायिक फसलें (कपास, गन्ना, खोपरा, कच्चा जूट)

खरीफ की फसलों में कौन-कौन सी फसलें आती हैं?

धान (चावल), मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन, उडद, तुअर, कुल्थी, जूट, सन, कपास आदि। खरीफ की फसलें जून जुलाई में बोई जाती हैं। सितंबर-अक्टूबर में इनकी कटाई होती है।

जानें मोदी केबिनेट के अन्य फैसले

1- किसानों के लिए ब्याज सहायता योजना जारी रखने को मंजूरी दी

सरकार ने बुधवार को संशोधित ब्याज सहायता योजना (एमआईएसएस) को 2025-26 के लिए जारी रखने को मंजूरी दे दी, जिसके तहत किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से सस्ती दर पर अल्पकालिक ऋण मिलता है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि मौजूदा 1.5 प्रतिशत ब्याज सहायता के साथ वित्त वर्ष 2025-26 के लिए एमआईएसएस को जारी रखने का निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया। इस योजना को जारी रखने से सरकारी खजाने पर 15,640 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

एमआईएसएस एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका उद्देश्य केसीसी के माध्यम से किसानों को सस्ती ब्याज दर पर अल्पकालिक ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। एमआईएसएस के तहत, किसानों को केसीसी के माध्यम से 7 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक का अल्पकालिक ऋण मिलता है, जिसमें पात्र ऋण देने वाली संस्थाओं को 1.5 प्रतिशत ब्याज सहायता प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, समय पर ऋण चुकाने वाले किसान शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन (पीआरआई) के रूप में 3 प्रतिशत तक के प्रोत्साहन के पात्र होते हैं, जिससे केसीसी ऋण पर उनकी ब्याज दर प्रभावी रूप से 4 प्रतिशत तक कम हो जाती है।

केवल पशुपालन या मत्स्य पालन के लिए लिए गए ऋणों के लिए ब्याज लाभ 2 लाख रुपये तक लागू है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि योजना की संरचना या अन्य घटकों में कोई बदलाव प्रस्तावित नहीं किया गया है। देश में 7.75 करोड़ से अधिक केसीसी खाते हैं।

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2 – फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी

सरकार ने बुधवार को 2025-26 खरीफ विपणन सत्र के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3 प्रतिशत बढ़ाकर 2,369 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने इस संबंध में निर्णय लिया। आगामी फसल वर्ष 2025-26 (जुलाई-जून) के खरीफ सत्र के लिए सामान्य और ए ग्रेड धान की किस्मों का समर्थन मूल्य 69 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर क्रमश: 2,369 रुपये और 2,389 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

दालों में अरहर का समर्थन मूल्य 450 रुपये बढ़ाकर 8,000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि उड़द का एमएसपी 400 रुपये बढ़ाकर 7,800 रुपये प्रति क्विंटल और मूंग का एमएसपी 86 रुपये बढ़ाकर 8768 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार ने 2025-26 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है, ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके। पिछले वर्ष की तुलना में एमएसपी में सबसे अधिक वृद्धि नाइजरसीड के लिए की गई है, इसके बाद रागी, कपास और तिल का स्थान आता है।

2025-26 के लिए खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर तय करने की बात कही गई है।

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3 – कैबिनेट ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में भारतीय रेलवे में दो मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी

कैबिनेट ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में दो मल्टि-ट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी। इन परियोजनाओं में शामिल हैं:

रतलाम-नागदा तीसरी और चौथी लाइन

वर्धा-बल्लारशा चौथी लाइन

परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत ₹3,399 करोड़ है। इन रेल लाइनों का कार्य 2029-30 तक पूर्ण किया जाएगा। भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 176 किमी की वृद्धि होगी। लगभग 784 गांवों में 19.74 लाख की जनसंख्या को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। निर्माण के दौरान लगभग 74 लाख मानव-दिनों का प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। इससे यात्रा में सुविधा, लॉजिस्टिक लागत में कमी, तेल आयात में गिरावट और CO₂ उत्सर्जन में कमी में सहायता मिलेगी।

4 – बडवेल नेल्लोर फोर-लेन हाईवे को मंजूरी

यह हाईवे बडवेल-गोपरावम गांव (NH-67) से लेकर गुरुविंदापुडी (NH-16) तक बनेगा। इसकी कुल लंबाई: 108.134 किलोमीटर होगी। इस फोर लेन बनाने की कुल अनुमानित लागत: 3653.10 करोड़ रुपये आंकी गई है। बडवेल-नेल्लोर कॉरिडोर आंध्र प्रदेश के तीन प्रमुख औद्योगिक कॉरिडोरों से कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा। यह कॉरिडोर कृष्णपट्टनम पोर्ट तक की यात्रा दूरी को 142 किमी से घटाकर 108.13 किमी कर देगा। परियोजना के माध्यम से लगभग 20 लाख मानव-दिनों का प्रत्यक्ष रोजगार और 23 लाख मानव-दिनों का अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होगा।