
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार, 19 मार्च को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में किसानों से जुड़े दो बड़े फैसले लिए गए. ये फैसले देश में उर्वरक उत्पादन को बढ़ावा देने और डेयरी उद्योग के विकास से संबंधित हैं. इन दोनों फैसलों से किसानों की आय बढ़ाने, आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद मिलेगी.
यूरिया संयंत्र और राष्ट्रीय गोकुल मिशन से जुड़े ये निर्णय किसानों की आय, उत्पादन क्षमता और कृषि लागत को सीधे प्रभावित करेंगे. ये फैसले किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और उनके जीवन स्तर में सुधार करने में मदद करेंगे.
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यूरिया संयंत्र से किसानों को लाभ
यूरिया खेती के लिए आवश्यक खाद है, लेकिन भारत में इसकी मांग के मुकाबले उत्पादन कम है, जिससे किसानों को महंगे दाम पर यूरिया खरीदना पड़ता है. असम में नए यूरिया संयंत्र से किसानों को निम्नलिखित लाभ मिलेंगे:
- घरेलू उत्पादन बढ़ने से किसानों को सस्ता और पर्याप्त खाद मिलेगा, जिससे खेती की लागत घटेगी.
- यूरिया के आयात पर खर्च कम होगा, जिससे सरकार किसानों के लिए अन्य योजनाओं में अधिक निवेश कर सकेगी.
- उत्तर-पूर्वी राज्यों के किसानों को प्राथमिकता से यूरिया मिलेगा, जिससे उनकी कृषि उत्पादकता बढ़ेगी.
- इस संयंत्र के निर्माण और संचालन से स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा.
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राष्ट्रीय गोकुल मिशन से किसानों को लाभ
डेयरी उद्योग ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत 3,400 करोड़ रुपये के निवेश से किसानों को ये लाभ मिलेंगे:
- उन्नत नस्ल की गाय-भैंसों से दूध उत्पादन बढ़ेगा, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिलेगा.
- किसानों को पशुओं की देखभाल, चारा प्रबंधन और दुग्ध उत्पादन की नई तकनीकों से जोड़ा जाएगा.
- दूध उत्पादन बढ़ने से किसानों को अधिक कीमत मिलेगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी.
- डेयरी उद्योग के विस्तार से ग्रामीण क्षेत्रों में नई डेयरी यूनिट्स और सहकारी समितियां बनेंगी, जिससे युवाओं को रोजगार मिलेगा.