रायपुर- भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि नरेन्द्र मोदी विपरीत परिस्थितियों में भी चट्टान की तरह मजबूती के साथ डटे रहने वाले प्रधानमंत्री हैं जो चुनौतियों को भी देश के लिए अवसर के रूप में बदलने का हौसला और ताकत रखते हैं. कोरोना के संकट काल में मेडिकल इक्विपमेंट्स की दृष्टि से भारत को आत्मनिर्भर बनाने की बात हो, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के माध्यम से देश के 80 करोड़ लोगों के सशक्तिकरण की बात हो या फिर देश की जीडीपी के 10% के बराबर 20 लाख करोड़ रुपये की निधि से आत्मनिर्भर भारत की मुहिम, प्रधानमंत्री मोदी ने यह दिखा दिया है कि यदि 130 करोड़ देशवासी ठान लें तो भारत के लिए कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है. डॉ. सिंह शुक्रवार को राजधानी में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे.
भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में बहुत ही सजगता और संवेदनशीलता के साथ देश का नेतृत्व किया है और देशवासियों को आगे की राह दिखाई है. इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए 30 जून प्रधानमंत्री जी ने देश के 80 करोड़ जरूरतमंद लोगों के लिए निःशुल्क राशन की व्यवस्था को अगले पांच माह तक आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है. डॉ. सिंह ने योजना की अवधि बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद ज्ञापित कर कहा कि देश के 80 करोड़ गरीबों के सशक्तिकरण के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अगले पांच महीनों तक जारी रखने का प्रधानमंत्री मोदी का दूरदर्शी निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है, जो गरीबों के उत्थान के लिए उनकी कटिबद्धता और संवेदनशीलता को दर्शाता है. इस योजना के तहत लाभार्थियों 05 किलो अनाज और एक किलो चना दाल मुफ्त मिलेगी. गरीब कल्याण पैकज के तहत अप्रैल 2020 से शुरू की गई इस योजना पर नवंबर 2020 तक लगभग 1.50 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. अगले पांच महीनों में इस पर लगभग 90 हज़ार करोड़ रुपये खर्च होंगे.
पत्रकारों के सवालों का ज़वाब देते हुए भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 25 मार्च को देश में पहली बार लॉकडाउन की घोषणा की थी. इसके अगले दिन 26 मार्च को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1.70 लाख करोड़ के प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की थी. इस योजना में गरीबों को तीन महीने (अप्रैल, मई, जून) मुफ्त राशन और नकद राशि उपलब्ध कराना शामिल था. अब यह योजना पांच और महीनों के लिए बढ़ा दी गई है. डॉ. सिंह ने बताया कि योजना के तहत अप्रैल से जून के तीन महीनों के लिए कुल 104.3 लाख मीट्रिक टन चावल और 15.2 लाख मीट्रिक टन गेहूं की जरूरत थी, जिसमें से 101.02 लाख मीट्रिक टन चावल और 15 लाख मीट्रिक टन गेहूं अलग-अलग राज्यों और यूटी से लिया गया था. कुल 116.02 लाख लीट्रिक टन अनाज लिया गया. अप्रैल में 37.02 लाख मीट्रिक टन अनाज 74.05 करोड़ (93%) , मई में 36.49 लाख मीट्रिक टन अनाज 72.99 करोड़ (91%) और जून में 28.41 लाख मीट्रिक टन अनाज 56.81 करोड़ (71%) लोगों को मिला.
डाॅ.रमन सिंह ने कहा कि डॉ. सिंह ने कहा कि चावल और गेहूं के लिए सरकार ने 46 हजार करोड़ रुपए खर्च किए थे, जिसका पूरा खर्चा केंद्र सरकार ने ही उठाया था, वहीं तीन महीनों के लिए कुल 5.87 लाख मीट्रिक टन दाल की जरूरत थी. इसके लिए 5 हजार करोड़ रुपए का खर्च केंद्र सरकार ने ही उठाया. अप्रैल से जून तक 4.40 लाख मीट्रिक टन दाल बाँटी जा चुकी है. डॉ. सिंह ने बताया कि फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के डेटा के मुताबिक, जून तक सरकार के पास 832.69 लाख मीट्रिक टन अनाज है. इसमें 274.44 लाख मीट्रिक टन चावल और 558.25 लाख मीट्रिक टन गेहूं है. चावल और गेहूं के अलावा 18 जून तक 8.76 लाख मीट्रिक टन दालें स्टॉक में थीं. इसमें 3.77 लाख मीट्रिक टन तुअर दाल, 1.14 लाख मीट्रिक टन मूंग दाल, 2.28 लाख मीट्रिक टन उड़द दाल, 1.30 लाख मीट्रिक टन चना दाल और 0.27 लाख मीट्रिक टन मसूर दाल है. सरकार के मुताबिक, नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (एनएफएसए) और दूसरी योजनाओं के तहत हर महीने करीब 55 लाख मीट्रिक टन अनाज की जरूरत होती है. इस हिसाब से जून 2020 तक सरकार के पास जितना अनाज स्टॉक में है, उससे अगले 15 महीने तक गरीबों में अनाज बाँटा जा सकता है.