Waqf Board Amendment Bill 2024: मोदी सरकार (Modi government) ने संसद के मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) में वक्फ बोर्ड (Waqf Board)) संशोधन विधेयक लोकसभा (Lok Sabha) में पेश कर दिया है। आज (8 अगस्त 2024) दोपहर 1 बजे अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने लोकसभा में वक्फ एक्ट (Waqf Act) संशोधन बिल को पेश किया। INDIA अलांयस और ओवैसी ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक का विरोध किया है। कांग्रेस (Congress) ने इसे संविधान पर हमला करार दिया।
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वक्फ संशोधन विधेयक का AIMIM चीफ और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह संविधान के बुनियादी ढांचे पर हमला है। वक्फ संशोधन बिल मनमाना और भेदभावपूर्ण है। वहीं NCP-SCP सांसद सुप्रिया सुले ने विधेयक का विरोध करते हुए लोकसभा में पेश करने से पहले इसे स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की। सुले ने कहा कि विधेयक को अधिक सिफारिशों के लिए स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए या एक संयुक्त संसदीय समिति बनाई जानी चाहिए। वहीं कांग्रेस सांसद हिबी ईडन ने वक्फ अधिनियम संशोधन विधेयक का विरोध किया है।
NDA सहयोगी चिराग पासवान की पार्टी LJPR ने ये कहा
वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर NDA सहयोगी चिराग पासवान की पार्टी LJPR का रिएक्शन भी सामने आ गया है। चिराग की पार्टी ने कहा है कि ये बिल मुसलमानों के खिलाफ नहीं है लेकिन इसे स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाना चाहिए।
जमीयत उलेमा ए हिंद ने संशोधन का किया विरोध
वक्फ एक्ट में संशोधन करने से पहले जमीयत उलेमा ए हिंद के अरशद मदनी ने मोदी सरकार को खुली धमकी दी है। मदनी ने कहा कि सरकार यह बात अच्छी तरह जानती है कि मुसलमान हर नुकसान बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन अपनी शरीयत में कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकता। मदनी ने आरोप लगाया कि जब से केंद्र में बीजेपी की सरकार आई है तब से मुसलमानों के खिलाफ नए-नए कानून ला रही है। उन्होंने एनडीए के दूसरे दलों पर भी निशना साधा। उन्होंने कहा है कि इन संशोधनों से केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों की स्थिति और स्वभाव को बदल देना चाहती है, ताकि उन पर कब्जा करके मुस्लिम वक्फ की स्थिति को समाप्त करना आसान हो जाए।
उन्होंने कहा, “जब से यह सरकार आई है विभिन्न बहानों और हथकंडों से मुसलमानों को अराजकता और भय में रखने के लिए ऐसे-ऐसे नए कानून ला रही है, जिससे शरई मामलों में खुला हस्तक्षेप होता है। सरकार यह बात अच्छी तरह जानती है कि मुसलमान हर नुकसान बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन अपनी शरीयत में कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकता।
वक्फ बोर्ड क्या है?
वक्फ एक्ट मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों और धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन और नियमन के लिए बनाया गया कानून है। इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का उचित संरक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित करना है ताकि धार्मिक और चैरिटेबल उद्देश्यों के लिए इन संपत्तियों का उपयोग हो सके। वक्फ चूंकि अरबी शब्द है जिसका अर्थ है ‘रोकना’ या ‘समर्पण करना’। इस्लाम में वक्फ संपत्ति एक स्थायी धार्मिक और चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में समर्पित की जाती है, जिसका उपयोग धार्मिक उद्देश्यों, गरीबों की मदद, शिक्षा आदि के लिए किया जाता है। वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड का गठन किया गया है। यह बोर्ड वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण, संरक्षण और प्रबंधन करता है।
वक्फ बोर्ड को कब अधिकार मिले?
2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 1995 के बेसिक वक्फ एक्ट में संशोधन लाया और वक्फ बोर्डों को और ज्यादा अधिकार दिए थे। अभी बोर्ड के पास वर्तमान में किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार है। तर्क यह दिया जाता है कि ये संपत्ति किसी जरूरतमंद मुस्लिम की भलाई के लिए होगी। हालांकि देखा गया कि प्रभावशाली लोग इन संपत्ति को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। कई संपत्तियों को जबरन वक्फ संपत्ति घोषित करने का विवाद भी सामने आया। वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा दिया गया है, जो किसी ट्रस्ट आदि से ऊपर है। यह अधिनियम ‘औकाफ’ को रेगुलेट करने के लिए लाया गया था। एक वकीफ द्वारा दान की गई और वक्फ के रूप में नामित संपत्ति को ‘औकाफ’ कहते हैं. वकीफ उस व्यक्ति को कहते हैं, जो मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त उद्देश्यों के लिए संपत्ति समर्पित करता है।
क्या गड़बड़ियां सामने आ रहीं?
सरकार को पता चला है कि राज्य वक्फ बोर्डों को किसी भी संपत्ति पर दावा करने के व्यापक अधिकार मिले हैं, जिसकी वजह से अधिकांश राज्यों में ऐसी संपत्ति के सर्वेक्षण में देरी हो रही है सरकार ने संपत्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए वक्फ संपत्तियों की निगरानी में जिला मजिस्ट्रेटों को शामिल करने की संभावना पर भी विचार किया है। वक्फ बोर्ड के किसी भी फैसले के खिलाफ अपील सिर्फ कोर्ट के पास हो सकती है, लेकिन ऐसी अपीलों पर फैसले के लिए कोई समय-सीमा नहीं होती है. कोर्ट का निर्णय अंतिम होता है। अगर बोर्ड किसी संपत्ति पर अपना दावा कर दे तो इसके उलट साबित करना काफी मुश्किल हो सकता है। वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि इसके फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती। अब तक वक्फ प्रॉपर्टी की ना तो राज्य, ना केंद्र सरकार और ना अदालत जांच कर पाती है। मांग उठाई गई कि इस तरह की कमेटी होनी चाहिए जो रेवन्यू की जांच करे, वक्फ में ट्रांसेरेन्सी हो. वक्फ प्रॉपर्टी सिर्फ मुस्लिमों के भले के लिए होनी चाहिए।
वक्फ से जुड़ी शिकायतें
- WAMSI पोर्टल पर 58000 से ज्यादा शिकायतें
- राज्य बोर्डों में 12700 से ज्यादा लंबित मामले
- न्यायाधिकरणों में 18400 से ज्यादा मामले
- SC/HC में 165 से ज्यादा मामले.
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