नई दिल्ली। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिगुल फूंकने के बाद अब सरकार ने इस पर बड़ा दांव खेलने को तैयार नजर आ रही है. बताया जा रहा है मोदी सरकार संसद के आगामी मानसून सत्र में यूसीसी बिल पेश करने की तैयारी में जुटी है.

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर संसदीय स्थायी समिति की तीन जुलाई को बैठक बुलाई गई है. कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति बैठक में सभी हितधारकों के विचारों को सुना जाएगा. भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी के नेतृत्व वाली समिति ने सभी 31 सांसदों और समिति के सदस्यों को सूचित किया है कि बैठक में समान नागरिक संहिता पर हितधारकों के सुझाव मांगे जाएंगे और उन पर विचार किया जाएगा.

पीएम मोदी ने भोपाल रैली में किया था जिक्र

हाल ही में भोपाल में एक जनसभा के दौरान पीएम मोदी ने यूसीसी का जिक्र किया था. पीएम ने विरोधी दलों पर हमला बोलते हुए कहा था कि विपक्ष सियासी फायदे के लिए यूसीसी का इस्तेमाल कर रहा है. यूसीसी के नाम पर लोगों को भड़काया जा रहा है. देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है? संविधान भी समान अधिकारों की बात करता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी यूसीसी लागू करने को कहा है. भाजपा मुसलमानों के पास जाकर उनके भ्रम को दूर करेगी.

विधि आयोग को मिली 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं

इसके पहले 14 जून को भारत के विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर आम जनता और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों से भी उनकी राय और विचार मांगे थे. विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी ने बुधवार को बताया कि सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया शुरू करने के केवल दो सप्ताह के भीतर पैनल को 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिली हैं.

क्या है समान नागरिक संहिता?

समान नागरिक संहिता का मतलब देश में रहने वाले सभी धर्मों के लिए एक ही कानून होगा. इसके तहत देश में रहने वाले सभी धर्मों और समुदायों के लोगों लिए एक ही कानून लागू किया जाना है. समें संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन, विवाह, तलाक और गोद लेना आदि को लेकर सभी के लिए एकसमान कानून बनाया जाना है.