नई दिल्ली। हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचने जा रही है. सरकार ओएफएस यानी ऑफर फॉर सेल (OFS-Offer For Sale)  के जरिए 15 फीसदी तक हिस्सा बेचेगी. इसके ओएफएस के लिए फ्लोर प्राइस 1001 रुपए प्रति शेयर तय किया गया है. नॉन रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए ओएफसी (ऑफर फॉर सेल ) गुरुवार को खुलेगा. और ये 28 अगस्त तक खुला रहेगा. भारत सरकार का इसके जरिए 5 हजार करोड़ रुपए जुटाने का प्लान है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओएफएस के लिए फ्लोर प्राइस 1001 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है, जो कि मौजूदा शेयर बाजार के भाव से करीब 15 फीसदी कम है. बुधवार को एनएसई पर HAL का शेयर 1177 रुपये पर बंद हुआ.

ओएफसी के जरिये सरकार ने 3,34,38,750 इक्विटी शेयर बेचने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें कंपनी की 10 फीसदी पेड-अप शेयर पूंजी है. इसके अतिरिक्त 5 फीसदी हिस्सेदारी यानी 1,67,19,375 इक्विटी शेयर (ओवरसबस्क्रिप्शन विकल्प) बेचने का विकल्प है. सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा कंपनी एचएएल में सरकार की हिस्सेदारी 89.97 प्रतिशत है. यह कंपनी को मार्च 2018 में शेयर बाजारों में सूचीबद्ध किया गया था.

क्या है ओएफएस

ओएफएस को ऑफर फॉर सेल कहते है. शेयर बाजार में लिस्‍टेड कंपनियों के प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल करते है. सेबी के नियमों के मुताबिक जो भी कंपनी ओएफएस जारी करना चाहती है, उसे इश्यू के दो दिन पहले इसकी सूचना सेबी के साथ-साथ एनएसई और बीएसई को देनी होती है. इसके बाद निवेशक एक्सचेंज को जानकारी देकर इस प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं.

निवेशक किस कीमत पर शेयर खरीदना चाहते हैं उसकी जानकारी उपलब्ध करानी होती है. निवेशक अपनी बोली दाखिल करता है. उसके बाद कुल बोलियों के प्रस्तावों की गणना की जाती है और इससे पता चलता है कि इश्यू कितना सब्सक्राइब हुआ है. इसके बाद प्रक्रिया पूरी होने पर स्टॉक्स का अलॉटमेंट होता है.

एचएएल क्या बनाती है?

यह कंपनी कई तरह के रक्षा उपकरण बनाती है. हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स कंपनी वायुयान, हेलीकॉप्टर्स, एवियॉनिक्स, एक्सेसरीज और एयरोस्पेस स्ट्रक्चर बनाने का काम करती हैं. इसके अलावा यह प्रोडक्ट की डिजाइन, मरम्मत, मेंटेनेंस का काम भी देखती है. ध्रुव, चीता, चेतक, लेंसर और रुद्रा इसी कंपनी ने बनाया है. भारत का पहला स्वदेशी फाइटर जेट तेजस एचएएल ने ही बनाया है.

बता दें, एचएएल एक नवरत्न कंपनी है. एचएएल को जून 2007 में नवरत्न कंपनी का दर्जा मिला था. उत्पादन के मूल्य के लिहाज से यह रक्षा क्षेत्र की यह अहम कंपनी है. एचएएल की खासियत यह है कि यह काफी हद तक अपनी रिसर्च पर निर्भर है. यह कंपनी रक्षा मंत्रालय के अंदर आती है.