दिल्ली. मोदी सरकार ने पिछले एक साल में कम से कम 25 नगरों और गांवों के नाम बदलने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी है, जबकि नाम परिवर्तित करने का कई प्रस्ताव उसके लंबित हैं.
जिन इलाकों के नाम बदले गए हैं, उसकी सूची में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और फैजाबाद ताजातरीन उदाहरण हैं. कई प्रस्ताव पर केंद्र सरकार की मुहर लगना बाकी है. यह प्रक्रिया बहुत लंबी है और इसमें कई केंद्रीय मंत्रालय और विभाग भी शामिल होते हैं.
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले एक साल में देश के विभिन्न हिस्सों में 25 नगरों और गांवो के नाम परिवर्तिन के प्रस्तावों को सहमति दी है. उन्होंने बताया कि इलाहाबाद के नाम प्रयागराज और फैजाबाद का नाम अयोध्या करने के प्रस्ताव अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार ने मंत्रालय को नहीं भेजे हैं.
आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में राजामुंदरी का नाम राजा महेंद्रवर्मन, आउटर व्हीलर आईलैंड का नाम एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप, केरल के मालाप्पुरा जिले में अरिक्कोड को अरीकोड, हरियाणा में जींद जिले के पिंडारी को पांडु पिंडारा, नगालैंड के खिफिरे जिले में सनफुर का नाम सामफुरे करने के प्रस्ताव शामिल हैं. इसके अलावा, महाराष्ट्र में सांगली जिले में लंगडेवाडी का नाम नरसिंहगांव, हरियाणा में रोहतक जिले में सांपला का नाम चौधरी सर छोटूराम नगर करने के प्रस्ताव शामिल हैं.
मंत्रालय के एक और अधिकारी ने कहा कि संबंधित एजेंसियों के परामर्श से मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार ऐसे प्रस्तावों को स्वीकार करता है. गृह मंत्रालय रेल मंत्रालय, डाक विभाग और भारत सर्वेक्षण विभाग से कोई आपत्ति नहीं होने के बाद किसी भी स्थान के नाम बदलने के लिए अपनी स्वीकृति देता है. इन संगठनों को यह पुष्टि करना है कि प्रस्तावित नाम का उनके रिकॉर्ड में ऐसा कोई नगर या गांव है कि नहीं.