साल 2005 में नरेंद्र मोदी, जब वह गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री थे, को अमेरिका के राजनयिक ए -2 वीजा से वंचित कर दिया गया था। इसके अलावा, B-1 / B-2 वीजा जो पहले उन्हें दिया गया था, को “आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम” की एक धारा के तहत निरस्त कर दिया गया था. यह धारा किसी भी विदेशी सरकारी अधिकारी को “धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन ” के लिए जिम्मेदार मानते हुए अमेरिकी वीजा के लिए अयोग्य बनाता है. आश्चर्यजनक यह है की मोदी अमेरिका के “आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम (INA)” के “अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (IRFA)” प्रावधान के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करने के लिए प्रतिबंधित होने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं। 2012 में, भारतीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एक विशेष जांच दल (SIT) ने मोदी के खिलाफ कोई “अभियोजन साक्ष्य” नहीं पाया और उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। जब 2014 में नरेंद्र मोदी भारत के प्रधान मंत्री बने, अमेरिकी वीजा मुद्दा द्विपक्षीय भारत-संयुक्त राज्य संबंधों में एक कूटनीतिक बाधा के रूप में सामने आया था

 

उज्जवल वीरेंद्र दीपक- वक़्त बदला और आज दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका, विश्व के सबसे प्रभावशाली प्रधान मंत्रियों में से एक और दुनिया की आबादी के एक बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाले हमारे प्रधान मंत्री की अगवानी करने के लिए बाहें फैलाकर खड़ा है. रविवार, २२ सितम्बर को अमेरिका के दुसरे सबसे बड़े राज्य, टेक्सास के सबसे बड़े शहर ह्यूस्टन में टेक्सास के इंडिया फोरम (TIF) द्वारा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक सामुदायिक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया है. “हाउडी मोदी” (Howdy Modi) में शामिल होने के लिए तीन सप्ताह में 50,000 से अधिक लोगों ने पंजीकरण किया है, पोप के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका में आमंत्रित किसी विदेशी नेता के लिए लाइव दर्शकों का यह सबसे बड़ा जमावड़ा होगा। 1,200 से अधिक स्वयंसेवकों और टेक्सास स्थित 650 वेलकम पार्टनर संगठनों के सहयोग से “हाउडी मोदी” का आयोजन किया जा रहा है।

महत्त्वपूर्ण बात यह है की इस कार्यक्रम का नाम तो “हाउडी मोदी” है, पर इसकी भव्यता, स्वरुप और अमेरिका में प्रधानमन्त्री मोदी की लोकप्रियता को भुनाने में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी पीछे नहीं हैं. इस सप्ताह, व्हाइट हॉउस द्वारा आधिकारिक तौर पर यह घोषणा की गयी की ट्रम्प भी इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे और उपस्थित 50000 से ज्यादा लोगों को सम्बोधित करेंगे। राष्ट्रपति ट्रम्प ने अन्य देशों के नेताओं के साथ उद्घाटन एवं अन्य समारोहों में भाग तो लिया है पर एक प्रवासी नेता के साथ कार्यक्रम में उनका संबोधन होना एक दुर्लभ संयोग है।

इस कार्यक्रम को भारत-अमेरिका संबंधों को बढ़ावा देने और दोनों देशों के नेताओं के बीच बढ़ते व्यक्तिगत प्रगाढ़ता के लिए एक अच्छे संकेत के रूप में देखा जा सकता है. संयोग की बात ये भी है की पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान भी इसी वक़्त संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में शामिल होने अमेरिका में ही होंगे. ट्रम्प की उपस्थिति एक ऐसे समय में एक मजबूत संकेत देगी जब पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दे को उठाने की योजना बना रहा है, और कई अमेरिकी सांसदों ने जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा व मानवधिकारों के उल्लंघन के बारे में चिंता व्यक्त की है।

राष्ट्रपति ट्रम्प मोदी की अमेरिका में लोकप्रियता के कायल हैं और अपने पिछले चुनाव में उन्होंने मोदी की तर्ज पर “अबकी बार, ट्रम्प सरकार” का नारा भी दिया था. यह पहली बार था जब अमेरिकी राष्ट्रपति पद के किसी उम्मीदवार ने भारतीय-अमेरिकियों को लुभाने के लिए हिंदी में कोई नारा बोलकर इस बड़े वोटबैंक से अपील की थी. 2020 में अमेरिका में चुनाव हैं और ट्रम्प कोई मौका गवाना नहीं चाहते। उनकी नज़रें अमेरिकी भारतीय समुदाय पर हैं और वे भली भाँती परिचित हैं की मोदी के साथ मंच साझा करने से उन्हें राजनैतिक फायदा होने की प्रबल संभावना है. उल्लेखनीय यह भी है की इस कार्यक्रम में उनके साथ अमरीका के प्रभावशाली गवर्नर, कांग्रेस के सदस्य, महापौर और अन्य अधिकारी भी इस द्विदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल होंगे।

मोदी और ट्रम्प की दोस्ती का जीवंत उदाहरण हाल ही में फ्रांस में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान देखने को मिला जहां प्रधानमन्त्री मोदी ने एक बेहद करीबी दोस्त की तरह खिलखिलाते हुए राष्ट्रपति ट्रम्प से हाथ मिलाया था. इस साल दोनों नेताओं के बीच यह तीसरी मुलाकात होगी। इसके पहले जापान में जी 20 शिखर सम्मेलन पर भी मिले थे।

“हाउडी मोदी” कार्यक्रम निश्चित तौर पर दोनों देशों के लोगों के बीच और “दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच रणनीतिक साझेदारी एवं मजबूत संबंधों पर जोर देने का एक शानदार अवसर होगा। अमेरिका और चीन के बीच जारी टैरिफ युद्ध और वैश्विक मंदी के बीच इस मुलाकात के विभिन्न मायने हैं और निसंदेह भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों को और गहरा करने के तरीकों पर चर्चा होने की सम्भावना है.

पूरे टेक्सास में प्रधानमन्त्री मोदी के बड़े बड़े होर्डिंग लगाए गए हैं और अब शायद उनमें बदलाव कर ट्रम्प को भी शामिल किया जाएगा। व्हाइट हाउस की घोषणा के बाद इस कार्यक्रम की भव्यता और वृहद् हो गयी है और अमेरिकी मिडिया भी इस कार्यक्रम में विशेष रूचि ले रहा है. दोनों नेताओं का स्वागत करने के लिए अमेरिकी भारतीय समुदाय बेहद उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं.

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने के लिए मोदी 21-27 सितंबर तक अमेरिका का दौरा कर रहे हैं। उनका यह प्रवास, वर्तमान हालातों में बेहद महत्त्वपूर्ण है. कश्मीर मुद्दे को लेकर अमेरिकी मीडिया ने भारत का साथ नहीं दिया है और इस पूरे घटनाक्रम को एक अलग ही नजरिये से पेश किया जाता रहा है. मोदी ने अपने साहसिक फैसलों और प्रभावशाली भाषणों से प्रभावित किया है, संयुक्त राष्ट्र महासभा में उनका उद्बोधन 27 सितम्बर को है और सबकी निगाहें उन पर जमी हुयी हैं.

2005 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी को वीसा से वंचित करने के बाद मोदी को भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद सितंबर 2014 में अमेरिका जाने के लिए वीजा जारी किया गया था। अमेरिकी प्रशासन द्वारा मोदी को अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों के एक संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया था जो उन्होंने जून 2016 में किया था। 2017 में, उन्होंने राष्ट्रपति ट्रम्प के निमंत्रण पर अमेरिका की राजकीय यात्रा की। दो वर्षों में दो बार भारत आने वाले एकमात्र अमेरिकी राष्ट्रपति थे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा जो दो बार भारत के प्रधान मंत्री मोदी से मिलने आये.

मोदी के प्रधानमंत्री बनने पश्चात् उनके लगातार विदेशी दौरों पर गंभीर आलोचनाएं हुईं, पर आज जब इसराइल के के चुनावों में वहाँ के लोकप्रिय प्रधानमन्त्री बेंजामिन नेतन्याहू प्रधानमन्त्री के साथ दोस्ती का अपने प्रचार में इस्तेमाल करते हैं या जब फ्रांस में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन में, जिसका भारत सदस्य नहीं है, हमें महत्वपूर्ण अतिथि की तरह आमंत्रित किया जाता है, या जब कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान अलग-थलग पड़ जाता है, तब प्रतीत होता है की उन विदेश यात्राओं के क्या मायने थे और प्रधानमन्त्री ने भारत के लिए क्या हासिल किया है. आज अन्य देशों में भारत के पासपोर्ट का महत्त्व निसंदेह बढ़ा है और मोदी ने विदेशी दौरों के दौरान वहां निवासरत भारतीयों को सम्बोधित कर उन्हें गौरवान्वित किया है.

“हाउडी” मित्रों द्वारा मिलने पर उपयोग किये जाने वाला एक अनौपचारिक शब्द है. भारत और अमेरिका के बीच “मित्र राष्ट्र” की अवधारणा को एक नया आयाम प्रदान करने जा रहा यह कार्यक्रम निश्चित तौर पर नयी संभावनाओं को जन्म देगा। आज के आधुनिक युग में जब राष्ट्रनायक और जनता के बीच की औपचारिक दूरी घटती नज़र आ रही है उसी प्रकार दो राष्ट्रों के नायकों के बीच मित्रता को परिभाषित करता हुआ ये शब्द है “हाउडी”। बदलते घटनाक्रम गवाह है भारत के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय क़द का और प्रमाण है भारत के महाशक्ति बनने, बढ़ते हुए मज़बूत क़दमों का, की कैसे जिस व्यक्ति को अमेरिका ने एक समय अपने देश में आने के लिया वीज़ा भी नहीं दिया था आज उसी व्यक्ति के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति “हाउडी मोदी” कार्यक्रम को सबोधित करेंगे।

“मित्र राष्ट्र” से “मित्र राष्ट्रनायक” की दूरी तय करने में प्रधानमंत्री मोदी जी के सशक्त विदेश नीति को सबसे बड़ा श्रेय दिया जाना चाहिए । जिस दौर में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने गुटनिरपेक्षता के सिद्धांत को अपनाते हुए उस समय की महाशक्ति अमेरिका से दूरी बना ली थी, आज उसी अमेरिका को मोदी जी ने उसी गुटनिरपेक्षता के सिद्धांत का सही मायनों में पालन कर अपने सबसे क़रीबी मित्रों की पंक्ति में ला खड़ा किया है । विदेश नीति में इस संतुलन को प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व के साक्षात उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है ।

उज्जवल वीरेंद्र दीपक

लेखक कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क में लोक प्रशासन के छात्र है.
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