झुंझुनू,राजस्थान. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राजस्थान के झुंझुनू से राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की. पीएम मोदी ने इस दौरान वहां मौजूद महिलाओं और बच्चों को संबोधित भी किया. पीएम ने हॉल में पहुंच कर सभी से सीधा संवाद भी किया. यहां रैली में पीएम ने महिलाओं से जुड़ी कई बातें की. उन्होंने कहा कि सास से ही आस है कि वो बेटी बचाओ अभियान को सफल बनाए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम में कहा कि दुनिया में 100 साल से भी अधिक समय से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है. आज पूरा देश झुंझुनू के साथ जुड़ा है. रैली में पीएम ने कहा कि मेरे विरोधी जितना भी मुझे भला-बुरा कहें उनकी मर्जी है. बस ऐसा करें कि अगर पीएम बोले तो उसका मतलब नरेंद्र मोदी नहीं पोषण मिशन होना चाहिए. इससे इस मिशन को बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी. हमें कुपोषण के खिलाफ जंग लड़नी होगी.
पीएम ने कहा कि झुंझुनू झुकना नहीं जानता मुश्किलों से जूझना जानता है. उन्होंने कहा कि हमारे देश में नारी को पूजा जाता है लेकिन ऐसा क्या हुआ कि बेटी को बचाने के लिए हाथ पैर जोड़ने पड़ रहे हैं. और सरकारों को बजट निकालना पड़ रहा है. पीएम ने कहा कि आज जब बालक और बालिकाओं की जन्म दर में अंतर दिखता है तो काफी दुख होता है.
उन्होंने कहा कि अब लोगों को तय करना होगा कि जितने बेटे पैदा होंगे, उतनी ही बेटियां पैदा होंगी. जितना बेटा पढ़ेगा तो उतनी ही बेटी भी पढ़ेगी. इसकी शुरुआत हमें आज से ही करनी चाहिए. पीएम ने कहा कि अगर घर में सास कह दे कि हमें बेटी चाहिए तो किसी की हिम्मत नहीं है कि बेटी को पैदा होने से रोक दे. बेटियों के जन्म के लिए जागरुकता फैलानी होगी.
पीएम बोले कि हमारी सरकार के आने के बाद हमने हरियाणा से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को लॉन्च किया. जिसके बाद वहां पर बेटियों के जन्म के अनुपात में काफी सुधार हुआ है. आज देश में बेटियां नाम रोशन कर रही हैं. जो लोग मानते हैं कि बेटा है, बुढ़ापे में काम आएगा तो ये गलत है. मैंने कई बार देखा है कि बेटे आराम की जिंदगी जीते हैं लेकिन मां-बाप वृद्धाश्रम में रहते हैं.
मोदी ने बताया कि मैं सोच-विचार कर झुंझुनू आया हूं. झुंझुनू जिले ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के अभियान को शानदार तरीके से आगे बढ़ाया है. इसलिए मैं अपने आप को यहां आने से रोक नहीं पाया. बेटी बोझ नहीं, बेटी पूरे परिवार की आन-बान और शान होती हैं. उन्होंने कहा ‘बेटा-बेटी एक’ भाव के लिए हमें एक सामाजिक और जन आंदोलन खड़ा करने की जरूरत है.