रायपुर। विधायक एवं संसदीय सचिव विकास उपाध्याय आज एक प्रेस-वार्ता बुलाकर मोदी मीडिया पर बरस पडे़। उन्होनें कहा, सिंन्धु बाॅर्डर पर आन्दोलनरत किसानों को मोदी मीडिया का डर इस कदर सता रही हैं कि वे पत्रकारों से बात करने के पहले ये देखते हैं कि उनके हाथ में माइक पर किस चैनल का लोगो है. विकास उपाध्याय ने कहा, यही मीडिया है जो देश में राहुल गांधी की छवी को भी धुमिल करने एक मुहिम चला रखी हैं. उन्होनें कहा राहुल गांधी ही थे, जब तीन कृषि कानूनों के विरोध में मोदी सरकार के खिलाफ सबसे पहले मुखर हुए. परन्तु राष्ट्रीय चैनलों ने उनकी बात को तवज्जों नहीं दी. आज जब उसी मुददे को लेकर देश के किसान एकजुट हो गये हैं, तो मोदी सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है। वे भारत बन्द के समर्थन जुटाने रोड़ पर लोगों के बीच जायेंगे.
विधायक विकास उपाध्याय आज एक प्रेस-वार्ता कर सीधा आरोप लगाया कि मोदी मीडिया की वजह से देश की जनता दिकभ्रमित हो रही है. उन्होनें कहा मीडिया,जो अपने आप को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहता है, कहीं न कहीं उसने अपनी विश्वसनीयता लोगों की नजर में खो दी है. मुख्यधारा की मीडिया के प्रति कम हुए विश्वास ने पत्रकारिता के लिए जो जगह खाली की है,उसे छोटे-छोटे चैनलों और सोशल मीडिया चैनलों के पत्रकार भर रहे हैं. सही मायने में सिंधु बाॅर्डर पर इस आन्दोलन को इन्होनें जिन्दा भी किया है, वरना ये अब तक मर गया होता। नेशनल मीडिया ने इसे कोई तवज्जों नहीं दी है.
उन्होनें कहा भाजपा के लोग किसानों के इस आन्दोलन से बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. सिन्धु बाॅर्डर पर चल रहा किसानों का आन्दोलन अब राष्ट्रीय नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हो गया है। ऐसे में मोदी सरकार अपनी मीडिया के माध्यम से इस आन्दोलन को विदेशी फंडिंग और खालिस्तान के एंगल में जोड़कर दिकभ्रमित कर रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा मोदी मीडिया अब ऐसे एंगल तलाश रहा है, जो सरकार के एजेण्डे को ही आगे बढ़ाए.
विकास उपाध्याय ने कहा राष्ट्रीय मीडिया इस आन्दोलन को तब तक नजर अन्दाज किया जब तक कि किसान दिल्ली की सीमा तक नहीं पहुंच गये. उन्होनें साफ शब्दों में कहा,राहुल गाँधी लगातार देशहित को लेकर लगातार मोदी सरकार पर हमलावार है, लेकिन मोदी मीडिया ने इनकी बातों को कभी तवज्जों नहीं दी और सरकार की वाह-वाही लुटने के लिए उन्हें एन्टी नेशनल साबित करने जुटी हुई है. यही बात आज किसानों के आन्दोलन में भी दिख रहा है और अधिकांश पत्रकार ये दिखाने का मौका ढूँढ रहे है कि देश विरोधी और एंटी-नेशनल तत्व आन्दोलन में शामिल है.
विकास उपाध्याय ने कहा, कल 8 दिसम्बर को भारत बंद के दौरान वे अपने हजारों साथियों के साथ किसानों के समर्थन में रोड में नजर आयेंगे और आम जनता से तीन कृषि कानूनों के दुष्परिणाम के बारे में चर्चा कर बतायेंगे कि यह शहरी क्षेत्र के लोगों के साथ कैसे जोडे़गी. उन्होनें किसानों के इस मांग का समर्थन किया है कि नये कृषि कानून हर हाल में वापस होने चाहिए. इसकी वजह से किसानों को अपना अनाज औने-पौने दाम में बेचना होगा और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था समाप्त हो जायेगी.
विकास उपाध्याय ने कहा वो तो भूपेश सरकार किसानों कि हितैषी है जो कर्ज लेकर समर्थन मूल्य पर छत्तीसगढ़ में धान की खरीदी कर रही है,परन्तु देश के अन्य राज्य केन्द्र के हिसाब से चलने मजबूर है,इसलिए इन कानूनों को वापस लेना ही होगा. विकास उपाध्याय ने बताया अब तक 18 राजनैतिक पार्टियों ने किसानों का समर्थन देकर बता दिया है कि कृषि कानून मोदी सरकार की जबरन में थोपी गई किसानों के विरूध एक षडयंत्र है जो उद्योगपतियों को फायदा पहुँचानें लाया गया है.
विकास उपाध्याय ने आरोप लगाया मोदी सरकार ने जानबूझकर कोरोना काल में बगैर किसानों से चर्चा किये मोदी सरकार ने गैर-लोकतांत्रिक तरीके से इन कानूनों को संसद में पास किया जिस पर कोई चर्चा नहीं कि गई. इससे भारत में खाद्य संकट बढ़ेगा,किसानों की परिस्थितियां और बिगड़ जायेंगी,साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य ना मिलने की वजह से भारतीय कृषि क्षेत्र की दशा बिगडे़गी.
विकास उपाध्याय ने छत्तीसगढ़ के किसानों से भी अपील की है कि वे देश भर के किसानों के हित को देखते हुए इस आन्दोलन में सहभागी बने और इस बात का संज्ञान लें कि भारतीय जनता पार्टी किस तरह से अपने बहुमत होने का नाजायज फायदा उठाकर स्वतंत्र भारत को अंग्रेजों के शासनकाल में ले जार रही है.