Modi Shines In SCO meeting: 50% टैरिफ और रूस से तेल नहीं खरीदने को लेकर अमेरिकी दबाव के बीच पीएम नरेंद्र मोदी चीन के तियानजिन में हुए एससीओ समिट में शामिल हुए। एससीओ समिट में मोदी-जिनपिंग-पुतिन की जबरदस्त कमिस्ट्री देखने को मिली। यह दृश्य विश्व राजनीति में होने वाले बदलाव की तरफ साफ इशारा किया। साथ ही वर्ल्ड राजनीति में भारत की बढ़ती धाक को भी बयां किया। SCO मीटिंग में मोदी का जलवा देख अमेरिका की अक्ल भी ठिकाने आ गई है। पीएम मोदी के चीन दौरे के बीच अमेरिका ने भारत की तारीफ में कसीदे पढ़ा है।

दरअसल भारत सोमवार (1 सितंबर 2025) सुबह चीन में नए वर्ल्ड ऑर्डर की बुनियाद रखा जरा रहा था तो उसी समय भारत में अमेरिकी दूतावास की ओर से एक बेहद अहम पोस्ट किया। वॉशिंगटन ने आधिकारिक तौर पर भारत को 21वीं सदी का अहम साझेदार बताया। इस ट्वीट की टाइमिंग और इसका कंटेट भारत-अमेरिका संबंधों के लिए निर्णायक है।

भारत में अमेरिकी दूतावास की ओर से किए गए इस पोस्ट में कहा गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही है, जो 21वीं सदी का एक निर्णायक रिश्ता है। अमेरिकी दूतावास ने कहा है कि यह हमारे दोनों देशों के लोगों के बीच की स्थायी मित्रता ही है जो इस यात्रा को ऊर्जा प्रदान करती है।

इस पोस्ट में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो का एक बयान भी है। इसमें उन्होंने कहा है कि भारत और अमेरिका के लोगों के बीच गहरी दोस्ती हमारे संबंधों का आधार है। ये तब कहा गया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टीम भारत के खिलाफ लगातार तल्ख बयान दे रही है।

भारत के साथ रिश्तों को किया याद

अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से कहा गया कि भारत और अमेरिका की साझेदारी लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही है। वॉशिंगटन ने इस रिश्ते को सिर्फ रणनीतिक नहीं, बल्कि लोगों के बीच गहरी दोस्ती पर आधारित बताया। सोशल मीडिया पर अमेरिकी दूतावास ने #USIndiaFWDforOurPeople हैशटैग के साथ रक्षा सहयोग, नवाचार और द्विपक्षीय संबंधों को भविष्य की दिशा देने वाला बताया। आगे इस पोस्ट में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो का बयान है। इस बयान में रुबियो ने कहा है कि, ‘दोनों देशों के लोगों के बीच स्थायी मैत्री हमारे सहयोग का आधार है और यह हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है, क्योंकि हम अपने आर्थिक संबंधों की अपार संभावनाओं को साकार करते हैं।

शी जिनपिंग ने भी अमेरिका को दिया सीधा मैसेज

समिट को सबसे पहले चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने संबोधित किया। शी जिनपिंग ने कहा कि यह संगठन आतंकवाद, अलगाववाद , उग्रवाद के खिलाफ है। जिनपिंग ने कहा कि संगठन के सदस्य देशों को गुटबाजी और धमकियों का डटकर विरोध करना चाहिए। चीनी राष्ट्रपति ने वैश्विक व्यवस्था में अमेरिका की तरफ से जारी ‘धौंसपट्टी’ और दबाव बनाने की प्रवृत्ति की कड़ी आलोचना की। शी जिनपिंग का साफ इशारा अमेरिका की तरफ था।

जिनपिंग ने न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था का बचाव किया और कहा कि वैश्विक शासन में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका बनी रहनी चाहिए। शी ने बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच बहुपक्षवाद और सहयोग की अहमियत पर जोर दिया। शंघाई सहयोग संगठन ने क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने में बड़ा योगदान दिया है। चीन जरूरतमंद सदस्य देशों में लोगों की जीवनशैली सुधारने के लिए 100 छोटे-छोटे प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना बना रहा है।

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