Modi Surname Case: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सूरत की सेशन कोर्ट में सुनवाई चल रही है. न्यायाधीश रॉबिन मोगेरा विशेष रूप से गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा ने कोर्ट के समक्ष राहुल गांधी की बात रखी.

वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 389 अपील लंबित रहने तक सजा के निलंबन का प्रावधान करती है. उन्होंने कहा कि सत्ता एक अपवाद है, लेकिन अदालत को सजा के परिणामों पर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अदालत इस बात पर विचार करे कि क्या दोषी को अपूरणीय क्षति होगी. ऐसी सजा मिलना अन्याय है.

‘दृढ़ विश्वास के कारण निर्वाचन क्षेत्र का नुकसान’

उन्होंने कहा कि दोषसिद्धि के कारण निर्वाचन क्षेत्र के नुकसान और दोषसिद्धि पर रोक लगाने की अयोग्यता को उच्चतम न्यायालय ने भी ‘असाधारण’ परिस्थितियों में रखा है. ऐसे मामलों पर एक बार फिर विचार किया जाना चाहिए. यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि राहुल 2019 में केरल के वायनाड से 4,31,070 मतों के अंतर से लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने गए थे, जो एक रिकॉर्ड अंतर था, लेकिन अब उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया है.

राहुल गांधी के वकील आरएस चीमा ने तर्क दिया कि विपक्ष का काम सरकार का विरोध करना है. सरकार की नाकामी पर सवाल उठाना विपक्ष की जिम्मेदारी है. राहुल को अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है. उन्होंने गुजरात के बीजेपी सांसद नारनभाई कछिया के मामले का हवाला देते हुए कहा कि उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की गई.

‘नरमी दिखाने की जरूरत नहीं’

याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी ने सत्र न्यायालय में दायर अपने जवाब में कहा कि राहुल गांधी अदालत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इसी वजह से वे अपील के वक्त बड़े नेताओं के साथ आए थे. वहीं, शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की ओर से अधिवक्ता हर्षित टोलिया ने कहा कि इस मामले में किसी तरह की नरमी दिखाने की जरूरत नहीं है. सांसद होने के नाते अगर वह कोई अपराध करता है तो वह और गंभीर हो जाता है.

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