दिल्ली के आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक (AAMC) के कर्मचारियों ने अपनी नौकरी की अनिश्चितता और वेतन में असमानता के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) का दरवाजा खटखटाया है. इन कर्मचारियों ने 28 जुलाई को एक रिट याचिका दायर की, जिसमें हेल्थकेयर इनिशिएटिव के तहत कार्यरत डॉक्टरों, नर्सों, फार्मासिस्टों और पैरामेडिक्स को सामना करने वाली समस्याओं का उल्लेख किया गया है. इस याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में जल्द ही सुनवाई होने की संभावना है.

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याचिका में उच्च न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वह वर्तमान कर्मचारियों को “मनमाने तरीके से हटाने” पर रोक लगाए और समय पर नियमित वेतन भुगतान सुनिश्चित करे. याचिका के अनुसार, कई महीनों से वेतन में देरी हो रही है, जिसके कारण कई कर्मचारी आर्थिक संकट और मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं.

यह याचिका हाईकोर्ट में 3 अगस्त को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के समक्ष दायर की गई एक संबंधित याचिका से कुछ दिन पहले आई है, जो मोहल्ला क्लीनिक के कर्मचारियों के बीच नौकरी की सुरक्षा और प्रशासनिक पारदर्शिता की कमी को लेकर बढ़ती चिंता को दर्शाती है.

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मोहल्ला क्लीनिक के पूर्व फार्मासिस्ट और हेल्थकेयर वर्कर्स चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रतिनिधि अनीश कुमार ने बताया कि कई कर्मचारियों को अनैतिक तरीके से बेरोजगारी की ओर धकेल दिया गया है. उन्होंने कहा कि कई कर्मचारियों को ‘डिटेलमेंट ट्रांसफर’ का सामना करना पड़ा है, जिसका अर्थ है कि उनका औपचारिक रूप से ट्रांसफर तो किया गया है, लेकिन उन्हें नई पोस्टिंग नहीं दी गई है. यह एक सुनियोजित तरीका है जिससे कर्मचारियों को बिना औपचारिक बर्खास्तगी के दरकिनार किया जा रहा है.

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कई कर्मचारी छह साल से अधिक समय से मोहल्ला क्लीनिकों में कार्यरत हैं और अब आयु सीमा के कारण अन्य सरकारी नौकरियों के लिए अयोग्य हो गए हैं. उन्होंने स्पष्टता और नौकरी की सुरक्षा की मांग की है, क्योंकि इस अनिश्चितता में जीना उनके लिए अब असहनीय हो गया है.

17 मई को मोहल्ला क्लीनिक के कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के बाद, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने यह आश्वासन दिया कि मौजूदा पैरामेडिकल और सहायक कर्मचारियों को आरोग्य मंदिरों में समायोजित किया जाएगा.