रायपुर। अजीत जोगी की जो हिम्मत थी, उसे भुलाया नहीं जा सकता है. यह बात विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को श्रद्धांजलि देते हुए मोहम्मद अकबर ने कही.

मोहम्मद अकबर ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि अजीत जोगी के साथ मिलकर काम करते हुए कुछ बातें हैं, जो आज भी मुझे याद है. मैं उनके बेहद करीबियों में से एक था. मेरी पहली मुलाकात विपरीत स्थिति में थी. मैं दुर्गा कॉलेज का अध्यक्ष था. मैं घेराव करने गया था. उन्होंने समझाया. उन्होंने 7 हजार के बजट में सरकार को चलाया. उन्होंने इस विधानसभा में कहा था कि गरीबों के लिए फैसले लेता हूं, तो लोग मुझे तानाशाह कहते हैं, तो हां, मैं तानाशाह हूं. पहले प्रस्ताव लाओ फिर नियम बनाओ.

मोहम्मद अकबर ने कहा कि विधानसभा का घेराव था. व्यापरियों की गिरफ्तारी हुई, उसके बाद कलेक्टर का फ़ोन आया. मुझसे पूछा क्या करना है. मैंने कहा बाकि को गिरफ्तार कर लो लेकिन वीसी के बारे में सीएम जोगी से पूछना होगा. जोगी को विधानसभा में चिट्ठी भेजी. उन्होंने अपने पेन से हां लिखा था. यह उनकी हिम्मत थी.

इसके पहले चर्चा में भाग लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोगों को सपने दिखाने वाले सपनो के सौदागर का चले जाना बड़ी क्षति है. अंतिम समय तक सेवा करते रहे. व्हील चेयर पर कोई राजनीतिक दल बना सकता है, और पूरे प्रदेश की यात्रा कर सकता है, ये जीवटता सिर्फ उनके अंदर थी. जोगी के भाषण में सम्मोहन शक्ति थी. जीवटता, जिजीविषा, जीवंतता उनके गुण थे.

बृजमोहन अग्रवाल ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि अजातशत्रु, जिजीविषा थे जोगी, छत्तीसगढ़ की नींव रखी जोगी ने, पूरे देश मे ध्रुव तारा छत्तीसगढ़ बना, उनको कभी भूल नहीं सकते. बहुत से सदस्यों ने उंगली पकड़कर राजनीति सीखी है. हमने सोचा नहीं था कि वो इतनी जल्दी चले जाएंगे. मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि आईएएस की सेवा में मेरे पिता के साथ एक अधिकारी के साथ रहे. परिवारिक संबंध थे. पदयात्रा के दौरान उनके साथ चलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.