बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले से सामने आई एक घटना ने न सिर्फ मानवता को शर्मसार किया है, बल्कि कानून-व्यवस्था और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. ईशनिंदा के नाम पर एक हिंदू युवक को वहशी भीड़ ने बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला, फिर उसके निर्वस्त्र शव को सड़क पर घसीटा, हाइवे जाम किया, डिवाइडर पर टांगा और करीब दो घंटे तक जश्न मनाने के बाद शव को आग के हवाले कर दिया. इस केस में अब सरकार ने एक्शन लिया है, 7 आरोपी गिरफ्तार हुए हैं. अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को इसकी जानकारी दी और कहा कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.

मृतक की पहचान 27 वर्षीय दीपू चंद्र दास के रूप में हुई है, जो बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले के ताराकांदा उपजिला का रहने वाला था. वह पायनियर निटवेयर्स (BD) लिमिटेड नाम की गारमेंट फैक्ट्री में काम करता था. यह घटना 18 दिसंबर की रात करीब 9:15 बजे मयमनसिंह के भालुका (Bhaluka) इलाके के जामिरदिया दुबलियापाड़ा क्षेत्र में फैक्ट्री के बाहर हुई.

RAB की कार्रवाई, सात आरोपी गिरफ्तार

मुख्य सलाहकार ने बताया कि रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने इस मामले में सात संदिग्धों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए लोगों में मोहम्मद लिमोन सरकार (19), मोहम्मद तारिक हुसैन (19), मोहम्मद माणिक मियां (20), इरशाद अली (39), निजुम उद्दीन (20), आलमगीर हुसैन (38) और मोहम्मद मिराज हुसैन एकॉन (46) शामिल हैं.

कई इलाकों में छापेमारी के बाद गिरफ्तारी

यूनुस ने बताया कि RAB-14 की टीमों ने मयमनसिंह के अलग-अलग इलाकों में समन्वित अभियान चलाया, जिसके बाद सभी आरोपियों को हिरासत में लिया गया. मामले की जांच अभी जारी है और जरूरत पड़ने पर आगे भी कार्रवाई की जाएगी.

घटना की शुरुआत कैसे हुई

स्थानीय सूत्रों और बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दीपू चंद्र दास फैक्ट्री के लिंकिंग सेक्शन में काम कर रहा था. इसी दौरान कथित तौर पर उसने एक सहकर्मी से बातचीत में आपत्तिजनक टिप्पणी की. इस बात की जानकारी तेजी से फैक्ट्री के बाहर फैल गई. कुछ ही समय में सैकड़ों लोग फैक्ट्री गेट के बाहर जमा हो गए और देखते-देखते भीड़ की संख्या 1500 से 2000 के बीच पहुंच गई.

भीड़ में आक्रोश बढ़ता गया. नारेबाजी शुरू हुई और प्रदर्शनकारी फैक्ट्री के अंदर घुसने की कोशिश करने लगे. फैक्ट्री कर्मचारियों और प्रदर्शनकारियों के बीच तनाव की स्थिति बन गई. हालात बिगड़ते देख औद्योगिक पुलिस और भालुका मॉडल थाना पुलिस मौके पर पहुंची और भीड़ को कंट्रोल करने का प्रयास किया.

पुलिस की मौजूदगी में भी नहीं रुकी भीड़

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भीड़ इतनी उग्र थी कि पुलिस हालात संभालने में नाकाम रही. आरोप है कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर भी हमला किया, जिसके बाद पुलिस को आत्मरक्षा में पीछे हटना पड़ा. इसी अफरा-तफरी के बीच भीड़ फैक्ट्री गेट तोड़कर अंदर घुस गई और दीपू चंद्र दास को जबरन बाहर घसीट लाई. इसके बाद जो हुआ, वह किसी सभ्य समाज में कल्पना से परे है. भीड़ ने दीपू को बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया. लात-घूंसे, डंडों और अन्य चीजों से हमला किया गया. गंभीर रूप से घायल दीपू ने कुछ ही देर में दम तोड़ दिया.

मौत के बाद भी नहीं थमी बर्बरता

युवक की मौत के बाद भी भीड़ का गुस्सा शांत नहीं हुआ. आरोप है कि शव को निर्वस्त्र कर ढाका-मयमनसिंह हाइवे तक घसीटा गया. वहां सड़क जाम कर दी गई. इसके बाद शव को रोड डिवाइडर पर एक पेड़ या खंभे से टांग दिया गया. भीड़ ने नारे लगाए, जश्न मनाया और करीब दो घंटे तक जश्न जैसा माहौल बनाया. रात करीब 11:15 बजे भीड़ ने शव पर केरोसिन डालकर आग लगा दी. यह पूरी घटना सार्वजनिक रूप से हुई, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए हैं. वीडियो में साफ दिख रहा है कि किस तरह एक युवक को भीड़ के बीच घेरा गया और वह अपनी जान के लिए गिड़गिड़ाता रहा.

स्थिति बेकाबू होने की सूचना पर भालुका उपजिला कार्यकारी अधिकारी, पुलिस और सेना के जवान मौके पर पहुंचे. कड़ी मशक्कत के बाद भीड़ को हटाया गया, आग बुझाई गई और शव को कब्जे में लिया गया. इसके बाद शव को भालुका मॉडल पुलिस स्टेशन ले जाया गया. प्रशासन ने तनाव को देखते हुए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं. फैक्ट्री प्रबंधन ने इस पूरे मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.

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