रायपुर. चुनावी साल में आदिवासी समाज को साधने की जिम्मेदारी आरएसएस ने उठा ली है. संघ के अनुषांगिक संगठन वनवासी कल्याण आश्रम ने आदिवासी समाज की अस्मिता पर केंद्रित संगोष्ठी का आयोजन किया है, जिसमें शामिल होने संघ प्रमुख मोहन भागवत छत्तीसगढ़ पहुँच गए हैं. भागवत सुबह ट्रेन से रायपुर पहुँचने के बाद सीधे निमोरा रवाना हो गए, जहां संगोष्ठी में शामिल होंगे. इस संगोष्ठी को चिंतन शिविर बताया जा रहा है.

गौरतलब है कि सरगुजा संभाग में हुई पत्थलगढ़ी की घटना बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चिंता की वजह बन गई है. संघ भी इससे चिंतित है. संघ के सामने चिंता की दो बड़ी वजहें हैं. संघ मानता है कि सरगुजा संभाग में पत्थलगढ़ी की आड़ में सरकार विरोधी माहौल बनाकर धर्मांतरण के लिए उपजाऊ जमीन बनाने की साजिश को बल दिया जा रहा है, तो वहीं इससे बीजेपी को होने वाला नुकसान भी संघ की चिंता की बड़ी वजह है.

संघ के सूत्र बताते है कि राज्य में आदिवासी समाज में बीजेपी की कमजोर पड़ती पकड़ की वजह जानने और उन वजहों को दूर करने की प्रभावी रणनीति पर भी चिंतन शिविर में चर्चा की जा सकती है.

बता दें कि वनवासी कल्याण आश्रम ने देशभर के 100 से ज्यादा आदिवासी नेताओं और बुद्धिजीवियों को संवाद के लिए आमंत्रित किया है. रायपुर के ठाकुर प्यारेलाल संस्थान निमोरा में 19 और 20 जून को संगोष्ठी का आयोजन किया गया है. इस कार्यक्रम में केंद्रीय जनजातीय मंत्री जुएल उराम,राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम, नंद कुमार साय के अलाव अन्य मंत्री भी मौजूद रहेंगे

बता दें कि सोमवार को रायपुर पहुंचे भैयाजी जोशी ने आदिवासियों के एक-एक मुद्दे पर चर्चा की और आदिवासियों की नाराजगी के कारणों को जानने की कोशिश की.