Bareilly News. बरेली में रुहेलखंड विश्वविद्यालय के अटल सभागार में रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सर संघचालक मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों और उनके परिजनों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि जाति का भेदभाव छोड़िए. हम सभी हिंदू हैं, जो दूसरी जातियां अलग-अलग धर्म अपनाए हुए हैं. उनके पूर्वज भी हिंदू थे.

उन्होंने कहा कि हमें विभिन्न जातियों, पंथ, भाषाओं और क्षेत्रों के परिवारों के साथ मित्रवत संबंध बनाकर उनके साथ नियमित रूप से मिलन, भोजन और चर्चा करनी चाहिए. विभिन्न आर्थिक स्तर के परिवारों के बीच परस्पर सहयोग की भावना जागृत हो, स्वयंसेवकों को इसके लिए प्रयास करना चाहिए.

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संघ प्रमुख अपने बरेली प्रवास के चौथे दिन कुटुंब स्नेह मिलन समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि कहा कि सक्षम, संपन्न और वंचित परिवारों के बीच परस्पर सहयोग की भावना होने पर कई सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का खुद ही निराकरण हो जाएगा. स्वयंसेवक परिवारों के जीवन का मंत्र देशार्चण, सद्भभाव, ऋणमोचन और अनुशासन होना चाहिए. देशार्चण से तात्पर्य है कि हमें देश की पूजा करनी चाहिए, अर्थात भारत के प्रति समर्पण भाव रखना चाहिए.

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