भागलपुर । मोकामा गोलीकांड मामले में गिरफ्तार किए गए कुख्यात सोनू उर्फ महात्मा को शुक्रवार शाम भागलपुर कोर्ट से रिहाई मिल गई। उन्हें एक जुलाई को ही जमानत मिल चुकी थी, लेकिन औपचारिकताएं पूरी होने के बाद शाम सात बजे उन्हें विशेष केंद्रीय कारा भागलपुर से रिहा किया गया। जेल से बाहर आते ही सोनू ने जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए और अपने साथ हुए व्यवहार को “अमानवीय” करार दिया।
जेल में अमानवीय व्यवहार का आरोप
रिहाई के बाद मीडिया से बात करते हुए सोनू ने कहा कि जेल प्रशासन ने उनके साथ सौतेला व्यवहार किया। उन्हें लंबे समय तक हाई पनिशमेंट सेल में बंद रखा गया, जहां 45 डिग्री तापमान में पंखा तक नहीं था। उन्होंने जेल में बिताए समय को “बुरे सपने” जैसा बताया और कहा कि अब जब वह बाहर हैं, तो खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं। फिलहाल उनका फोकस किसी भी प्रकार के टकराव से दूर रहकर केवल अपने परिवार पर केंद्रित रहेगा।
राजनीतिक सवालों पर संतुलित जवाब
आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर पूछे गए सवाल पर सोनू ने संयमित प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि फिलहाल चुनाव आयोग ने कोई घोषणा नहीं की है। जब चुनाव होंगे, तब जनता जो तय करेगी वही अंतिम निर्णय होगा।
अनंत सिंह पर टिप्पणी से परहेज
पूर्व विधायक अनंत सिंह के साथ रिश्तों को लेकर सवाल पर सोनू ने कहा, “अनंत सिंह बुजुर्ग हैं, मेरे पास उनके खिलाफ कहने के लिए कुछ भी नहीं है।” गौरतलब है कि मोकामा गोलीकांड मामले की जड़ में अनंत सिंह और सोनू-मोनू गैंग के बीच हुई हिंसक झड़प है। यह घटना 22 जनवरी 2025 को सामने आई थी, जब मुकेश सिंह के घर पर ताला लगाने को लेकर विवाद हुआ था।
70 राउंड फायरिंग
घटना के दौरान जलालपुर और नौरंगा गांव में दोनों पक्षों के बीच भारी गोलीबारी हुई थी। सूत्रों के अनुसार लगभग 70 राउंड गोलियां चली थीं, हालांकि पुलिस को सिर्फ 14 खोखे बरामद हुए थे। फायरिंग का एक 53 सेकेंड का वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें 20 राउंड फायरिंग की आवाजें रिकॉर्ड हुई थीं। इसके आधार पर पुलिस ने अनंत सिंह पर आर्म्स एक्ट, हत्या के प्रयास और सरकारी कार्य में बाधा डालने जैसे कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।
घटनाक्रम की समयरेखा
22 जनवरी को मुकेश सिंह के घर पर ताला लगाने को लेकर विवाद शुरू हुआ था। मुकेश ने अनंत सिंह से मदद ली और थाने में शिकायत दर्ज कराई। 23 जनवरी को फिर गोलीबारी हुई और 24 जनवरी को सोनू को गिरफ्तार किया गया, जबकि अनंत सिंह ने उसी दिन बाढ़ कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। सोनू को पहले पटना जेल और फिर भागलपुर जेल में स्थानांतरित किया गया था।
मोनू अब भी फरार
इस मामले का दूसरा आरोपी मोनू अब तक फरार है, लेकिन सूत्रों की मानें तो सोनू की रिहाई के बाद वह भी सरेंडर कर जमानत की अर्जी दे सकता है।
मोकामा गोलीकांड की यह पूरी घटना राजनीतिक और आपराधिक समीकरणों के मिलाजुला रूप मानी जा रही है। अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में इस प्रकरण का कानूनी और राजनीतिक असर कितना गहरा पड़ता है।
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