पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच मोकामा टाल क्षेत्र में हुई गोलीबारी और एक व्यक्ति की मौत ने प्रदेश की राजनीति और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आचार संहिता लागू होने के बावजूद गोलियों की तड़तड़ाहट और हिंसा ने चुनावी माहौल को दहला दिया है।

तेजस्वी यादव का सरकार पर हमला

राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस घटना को लेकर सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा चुनाव में हिंसा की कोई ज़रूरत नहीं है, हम कभी हिंसा के पक्षधर नहीं रहे हैं। सवाल यह है कि आचार संहिता के दौरान बंदूक लेकर कौन घूम रहा है? तेजस्वी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री को सिर्फ 30 साल पुरानी बातें करने के बजाय यह देखना चाहिए कि आज सिवान में एएसआई की हत्या हो गई, मोकामा में दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई – आखिर यह कैसा राज है? उनका कहना था कि सरकार को यह बताना चाहिए कि आखिर अपराधियों को संरक्षण कौन दे रहा है।

पुलिस ने शुरू की जांच, FSL टीम जुटी सबूत एकत्र करने में

घटना के बाद बाढ़-2 एसडीपीओ अभिषेक सिंह ने बताया कि टाल क्षेत्र में दो गुटों के काफिले के बीच विवाद हुआ था। एक पक्ष ने दूसरे पर गोली चलाने और गाड़ी चढ़ाने का आरोप लगाया है। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है और फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की टीम को जांच के लिए बुलाया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, यह जांच की जा रही है कि किन लोगों ने हथियारों का इस्तेमाल किया और क्या गाड़ियाँ चुनाव प्रचार से जुड़ी थीं।

लोकतंत्र पर खतरा: मतदाताओं में असुरक्षा की भावना

इस वारदात ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या चुनावी दौर में हिंसा पर काबू पाया जा सकता है?
चुनावी क्षेत्र में बंदूक, गोली और गाड़ी से कुचलने जैसी घटनाएँ न सिर्फ मतदाताओं में डर पैदा करती हैं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की साख पर भी बट्टा लगाती हैं। राजनीतिक दलों के नेताओं से लेकर आम नागरिक तक अब यही उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन सख्त कार्रवाई करे और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

आगे की राह

पुलिस का दावा है कि जांच तेज़ी से चल रही है और दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। फिलहाल पूरा मोकामा इलाका पुलिस चौकसी में है, जबकि राजनीतिक गलियारों में यह मामला चुनावी नैरेटिव का हिस्सा बन चुका है। अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इस हिंसा के आरोपियों को सज़ा दिलाकर जनता का भरोसा बहाल कर पाता है या नहीं।