पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच मोकामा हत्याकांड को लेकर सियासत गरमाती जा रही है। राघोपुर से राजद उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, वहीं केंद्रीय मंत्री और हम (सेक्युलर) नेता जीतन राम मांझी ने इसे विपक्ष की साजिश बताया है। दोनों नेताओं के बयानों ने बिहार की चुनावी राजनीति में नया मोड़ ला दिया है।

लोकतंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं

मोकामा की घटना पर तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में लगातार बढ़ रही हिंसा लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत है। लोकतंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। हम हैरान हैं कि 40 वाहनों का काफिला हथियारों से लैस होकर कैसे घूम सकता है? प्रशासन और चुनाव आयोग क्या कर रहे हैं?

तेजस्वी ने सवाल उठाया कि

अगर चुनाव निष्पक्ष होना है तो आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों। यह सिर्फ कानून-व्यवस्था की नहीं, लोकतंत्र की साख का भी सवाल है। राजद नेता ने आरोप लगाया कि सरकार और प्रशासन की नाकामी के कारण अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग स्वतंत्र जांच कराए और दोषियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए।

राजद करवा रही हिंसा

वहीं केंद्रीय मंत्री और हम(से) प्रमुख जीतन राम मांझी ने तेजस्वी के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा घटना की जांच का आदेश दिया जा चुका है। आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। लेकिन यह कहना कि प्रशासन विफल है, पूरी तरह गलत है। मांझी ने आगे कहा राजद के लोग जानबूझकर माहौल बिगाड़ रहे हैं ताकि सहानुभूति वोट मिल सके। सरकार और पुलिस पूरी मुस्तैदी से काम कर रही है। कानून-व्यवस्था की कोई विफलता नहीं है।

चुनाव से पहले बढ़ी राजनीतिक बयानबाज़ी

मोकामा हत्याकांड ने एनडीए और महागठबंधन के बीच सियासी बयानबाज़ी को और तेज़ कर दिया है। तेजस्वी जहां सरकार पर प्रशासनिक ढिलाई और चुनाव आयोग की निष्क्रियता का आरोप लगा रहे हैं, वहीं मांझी इसे राजद की सोची-समझी साजिश बता रहे हैं।

अराजकता को मुद्दा बनाना चाहता

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला अब सिर्फ अपराध का नहीं, बल्कि चुनावी नैरेटिव का हिस्सा बन गया है जहां एक ओर विपक्ष सुरक्षा और पारदर्शिता की बात कर रहा है वहीं सत्ताधारी पक्ष राजद की अराजकता को मुद्दा बनाना चाहता है।

चुनाव आयोग से रिपोर्ट तलब

सूत्रों के मुताबिक मोकामा की घटना पर चुनाव आयोग ने स्थानीय प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है। वहीं राज्य पुलिस ने घटना की जांच के लिए विशेष टीम गठित की है। चुनावी दौर में ऐसी घटनाओं से कानून-व्यवस्था को लेकर प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठना तय है।