रायपुर। मोक्षदा एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है. आज 8 दिसंबर को मार्गशीर्ष मास के शुक्ल की एकादशी है. मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से मनुष्यों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. यही नहीं इस व्रत के प्रभाव से पितरों को भी मुक्ति मिलती है. यदि मनुष्य अनजाने में हुई अपनी भूलों का प्रायश्चित करना चाहता है तो उसे इस दिन के महत्व को समझते हुए यह व्रत अवश्य ही धारण करना चाहिए. इस तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. महाभारत युद्ध की शुरुआत में अर्जुन ने शस्त्र उठाने से मना कर दिया था, तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता के उपदेश बताए थे. इसके बाद अर्जुन युद्ध के लिए तैयार हुए. इस दिन भगवान विष्णु और उनके अवतारों की विशेष पूजा करनी चाहिए. इस दिन पूजा उपासना से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति सम्भव होती है.
मोक्षदा एकादशी व्रत की पूजा विधि…
- इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करते हुए पूरे घर में गंगाजल छिड़कें.
- पूजन सामग्री में तुलसी की मंजरी, धूप-दीप, फल-फूल, रोली, कुमकुम, चंदन, अक्षत, पंचामृत रखें.
- विघ्नहर्ता भगवान गणेश, भगवान श्रीकृष्ण और महर्षि वेदव्यास की मूर्ति या तस्वीर सामने रखें. श्रीमदभगवद् गीता की पुस्तक भी रखें.
- सबसे पहले भगवान गणेश को तुलसी की मंजरियां अर्पित करें.
- इसके बाद विष्णु जी को धूप-दीप दिखाकर रोली और अक्षत चढ़ाएं.
- पूजा पाठ करने के बाद व्रत-कथा सुननी चाहिए. इसके बाद आरती कर प्रसाद बांटें.
- व्रत एकदाशी के अलग दिन सूर्योदय के बाद खोलना चाहिए.
मोक्षदा एकादशी कथा
पुरातन काल में गोकुल नगर में वैखानस नाम के राजा राज्य करते थे. एक रात उन्होंने देखा उनके पिता नरक की यातनाएं झेल रहे हैं। उन्हें अपने पिता को दर्दनाक दशा में देख कर बड़ा दुख हुआ, सुबह होते ही उन्होंने राज्य के विद्धान पंडितों को बुलाया और अपने पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा. उनमें से एक पंडित ने कहा आपकी समस्या का निवारण भूत और भविष्य के ज्ञाता पर्वत नाम के पंहुचे हुए महात्मा ही कर सकते हैं। अत: आप उनकी शरण में जाएं।
राजा पर्वत महात्मा के आश्रम में गए और उनसे अपने पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा, “महात्मा ने उन्हें बताया की उनके पिता ने अपने पूर्व जन्म में एक पाप किया था। जिस का पाप वह नर्क में भोग रहे हैं।”
राजा न कहा,” कृपया उनकी मुक्ति का मार्ग बताएं।”
महात्मा बोले,” मार्गशीर्ष मसके शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है। उस एकादशी का आप उपवास करें। एकादशी के पुण्य के प्रभाव से ही आपके पिता को मुक्ति मिलेगी।” राजा ने महात्मा के कहे अनुसार व्रत किया उस पुण्य के प्रभाव से राजा के पिता को मुक्ति मिल गई और वह स्वर्ग में जाते हुए अपने पुत्र से बोले, “हे पुत्र! तुम्हारा कल्याण हों, यह कहकर वे स्वर्ग चले गए