लक्ष्मीकांत बंसोड़, बालोद. छत्तीसगढ़ सरकार गरीबों के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देने के लिए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल की शुरुआत की है. जिसकों लेकर बड़े-बड़े दावे भी किए गए. लेकिन इन दावों के पीछे बड़ा खेला हो रहा है. बच्चों के एडमिशन के लिए पैसों के लेनदेन का मामला सामने आया है. ऐसे में अब कई तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं.

बता दें कि, बालोद जिले के डौंडी स्थित स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल में बच्चों के एडमिशन कराने के नाम पर पैसे के लेनदेन का मामला सामने आया है. जो बेहद चौंकाने वाला है. पालकों का आरोप है कि, इस स्कूल मैं अपने बच्चों को भर्ती कराने के लिए उन्होंने स्कूल के प्यून मोहित धनकर को पैसे दिए हैं. प्रत्येक बच्चों का एडमिशन कराने के लिए प्यून ने 4-4 हजार रुपए की डिमांड की. पलकों को लगा कि, उनके बच्चों का भविष्य अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ने से सांवरेगा. इतना ही नहीं पैसे के लेनदेन का ऑडियो रिकार्डिंग और ऑनलाइन मोड से भेजे गए पैसों के साक्ष्य भी पालकों के पास मौजूद है.

जानकारी के अनुसार, 6 पालकों ने चपरासी को पैसे दिए. किसी ने पहली क़िस्त के रूप में 4 हजार दिए तो किसी ने 2 हजार तो किसी ने 1500 की रकम प्यून को दी. इतना ही नहीं प्यून ने पालकों को ये कहते हुए भरोसा दिलाया कि, स्कूल के प्रिंसिपल के माध्यम से आपके बच्चों की भर्ती करवा दूंगा.

वहीं जब बच्चों को एडमिशन नहीं मिला तो डौंडी विकास खण्ड के ग्राम मरकटोला के पालकों ने मोर्चा खोल विकासखंड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर से लिखित शिकायत कर, मामले में प्यून के साथ उच्च अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप लगा जांच कार्रवाई की मांग की है. वहीं आरोपी प्यून का कहना है कि, मैने प्रिंसिपल के कहने पर ही बच्चों के पालकों से एडमिशन कराने के लिए पैसे लिए हैं. इस मामले में प्रिंसिपल ने प्यून के आरोपों को झूठा बताते हुए बदनाम करने की साजिश करने की बात कही है.

पालक श्रीराम साहू ने बताया कि, प्यून के अकेले का काम नहीं है. प्रिंसिपल की भी पूरे मामले में संलिप्तता दिखाई दे रही है. कलेक्टर को आवेदन किया गया है. प्यून के साथ-साथ प्रिंसिपल पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. ताकि दोबारा गलती न हो. हालांकि, मामला सामने आने के बाद जांच टीम गठित कर जांच शुरू कर दी गई है. सवाल ये भी खड़े हो रहे हैं कि प्यून की इतनी हिम्मत तो नहीं होगी कि, वह इतनी बड़ी घटना को किसी बड़े अधिकारी के सपोर्ट बिना अंजाम दे सके.

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