Monkeypox: कोरोना (Corona) के बाद अब मंकीपॉक्स विश्व को डरा रहा है। मंकीपॉक्स कोरोना की तरह महामारी बनता जा रहा है। अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स के कारण अब तक 100 लोगों की जानें जा चुकी है। वहीं अबतक अफ्रीकी देशों तक सीमित यह वायरस अब बाहर भी फैल गया है। अफ्रीका से बाहर स्वीडन (Sweden)-पाकिस्तान (Pakistan)में भी इसका मरीज मिला है। इसके बाद WHO ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर कर दी है।
वहीं इस वर्ष यह दूसरी बार हो रहा है जब WHO ने मंकीपॉक्स की वजह से इमरजेंसी घोषित की है। इसके पहले डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में इस वेरिएंट के मरीज देखने मिले थे। डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में मंकीपॉक्स की वजह से 450 लोगों की मौत हो गई थी।अफ्रीकी देशों के मध्य और पूर्वी इलाकों में यह वेरिएंट ज्यादा फैला था।
इधर स्वीडन की पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट अधिकारियों का कहना है कि जिस शख्स को मंकीपॉक्स हुआ है, वह कुछ दिनों पहले अफ्रीका से होकर आया था। उसका इलाज स्टॉकहोम में हो रहा है। मंकीपॉक्स के विशेषज्ञ ने कहा है कि जहां पर मंकीपॉक्स क्लैड 1 फैला हुआ है, वहां पर पहले भी पीड़ितों के इलाज किया जा चुके हैं, लेकिन इस बार एजेंसी खास एहतियाद बरत रही है।
पाकिस्तान तक पहुंचा मंकीपॉक्स
भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी विगत गुरुवार (15 अगस्त) को खैबर पख्तूनख्वा (KP) में एक मंकीपॉक्स का मरीज मिला है। इस साल का यह पहला मामलाहै। हाल ही में यह शख्स सऊदी अरब से वापस लौटा है। पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि युवक दीर का है और वर्तमान में मर्दन में रह रहा है। संक्रमित व्यक्ति के 3 अगस्त को सऊदी अरब से लौटने के बाद एमपॉक्स से पीड़ित होने का पता चला था। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने आगे कहा कि उन्होंने संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों के सैंपल लिए हैं। इसके बाद स्वास्थ्य सेवाओं ने सभी आने-जाने वाले रास्ते पर सख्त निगरानी का आदेश दिया है। मंकीपॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए और कदम उठाते हुए पाकिस्तानी स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सत्र आयोजित कर एमपॉक्स के संबंध में सलाह और दिशानिर्देश जारी किए।
मंकीपॉक्स के दो वेरिएंट है क्लैड 1 और क्लैड 2
स्वीडन के सामाजिक मामलों के मंत्री जैकब फोर्समेड का कहना है कि मंकीपॉक्स के दो वेरिएंट है क्लैड 1 और क्लैड 2। उन्होंने बताया कि क्लैड 2 वेरिएंट का प्रकोप 2022 में ज्यादा था और स्वीडन में भी इसके मरीज पाए गए थे। बाद में वह कमजोर पड़ता गया और ज्यादा फैल नहीं पाया था।
नया वेरिएंट 15 से ज्यादा देशों में फैला
इस बार जो वेरिएंट फैल रहा है उसकी चपेट में 15 से ज्यादा देश आ गए हैं। अफ्रीका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन ने बीते सप्ताह बताया था कि मंकीपॉक्स की वजह से अब तक 500 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
क्या है मंकीपॉक्स?
सफदरजंग अस्पताल के कम्यूनिटी मेडिसिन के एचओडी डॉ. जुगल किशोर ने बताया कि मंकीपॉक्स भी स्मॉल पॉक्स की तरह एक वायरल बीमारी है। इसका नाम भले मंकीपॉक्स है, लेकिन इसका मंकी से कोई संबंध नहीं है। जिस प्रकार स्वाइन फ्लू की शुरुआत स्वाइन यानी सुअर से मानी जाती है, लेकिन अब स्वाइन फ्लू के संक्रमण के फैलने का सुअर से कोई संबंध नहीं है, ठीक उसी प्रकार मंकीपॉक्स के फैलने में मंकी का कोई संबंध नहीं है। चूंकि यह स्मॉल पॉक्स परिवार से संबंध रखता है और यह डीएनए वायरस है, जिसका साइज आमतौर पर बाकी वायरस से बड़ा होता है। यह हवा में एयर टु एयर नहीं फैलता है। यह मरीज के संपर्क में आने से, संक्रमित इंसान के रैश या फोड़े के पानी के संपर्क से और सेक्सुअल रिलेशन से फैलता है।
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मंकीपॉक्स के लक्षण
- संक्रमित मरीज के संपर्क में आने के बाद तीन से 15-17 दिन में लक्षण दिखते हैं।
- शुरुआती लक्षण फीवर है, इसके 1 से 4 दिन बाद स्किन पर दाने बनने लगते हैं।
- दाने अक्सर पहले चेहरे पर आते हैं, इसके बाद हाथ, पैर व अन्य जगह फैलते हैं।
- लक्षण आने से लेकर दाने बनने और पपड़ी ठीक होने तक संक्रमित व्यक्ति से यह वायरस फैल सकता है।
- मंकीपॉक्स के लक्षण आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक बने रहते हैं।
- हर पीड़ित मरीज में सभी लक्षण डिवेलप नहीं होते है।
- कई लोगों में केवल स्किन में दाने आते हैं, बाकी कोई लक्षण नहीं होता है।
- कुछ लोगों के पूरे शरीर में दाने बन जाते हैं और साइज भी बड़ा होता है।
- मंकीपॉक्स के रैशज कई स्टेज में होते हैं, शुरू में दाने होते हैं, फिर यह फफोले में बदल जाते हैं, इसके बाद इसमें पानी आ जाता है। पानी सूखने के बाद यह पपड़ी की तरह होता है। पूरी तरह से ठीक होने में 25 से 30 दिन लग जाते हैं।
क्या है इसका इलाज
मंकीपॉक्स की वैक्सीन आ गई है। इसकी एफीकेसी 90% तक है। इसके प्रोडक्शन को बढ़ाना होगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इस वैक्सीन को पहुंचाना होगा। इसके खिलाफ एंटी वायरल ड्रग भी है, जो अभी इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन इस पर व्यापक स्टडी नहीं है। बहुत कम लोगों पर रिसर्च हुई है। और रिसर्च की जरूरत है।
इस देश में 584 लोगों की मौत
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में एमपॉक्स के मामले ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया है। इस साल की शुरुआत से अब तक 548 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं देश के सभी प्रांत इससे प्रभावित हैं। WHO ने बुधवार को एमपॉक्स के बढ़ते मामलों को लेकर वैश्विक सार्वजनिक स्वाथ्य आपातकाल घोषित कर दिया। एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री सैमुअल-रोजर कम्बा ने गुरुवार को कहा कि हमारे देश में इस साल की शुरुआत से 15,664 संभावित मामले और 548 मौतें दर्ज की गई हैं।
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