दंतेवाड़ा। कोरोना ने छत्तीसगढ़ को इस कदर चपेट में लिया है कि तमाम जिलों में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई है. छत्तीसगढ़ में पूरी तरह से तालाबंदी है. ऐसे में गाड़ियों के पहिओं में भी कोरोना ब्रेक लगा हुआ है. अब जंगली इलाके से निकलने वाली सड़कें भी सूनी पड़ी हैं, जिससे सड़क किनारे बैठे बेजुबानों को खाना नहीं मिल रहा है. इसमें ज्यादातर परेशानी बंदरों को है. बंदर भूखे मरने की नौबत में हैं, लेकिन अजमेर कुशवाहा बंदरों के लिए ‘भगवान’ बनकर उभरे हैं, जो उनकी भूख प्यास मिटा रहे हैं.

लॉकडाउन में भूखे मर रहे थे बंदर

लॉकडाउन की इस स्थिति में न केवल इंसान परेशान हैं, बल्कि बेजुबान भी हताश हैं. लॉकडाउन की वजह से लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं, जिससे बंदरों को जो खाने को मिलता था, वह अब नहीं मिल पा रहा है. इस बीच पशुधन विकास विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अजमेर सिंह कुशवाहा मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं.

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अजमेर सिंह कुशवाहा मिटा रहे भूख

दरअसल, दंतेवाडा बचेली के बीच नेरली घाट के बंदरों के सामने भूखा मरने की नौबत आ गई है. लॉकडाउन से पहले गाड़ी से आने-जाने वाले लोग बंदरों के खाने के लिए कुछ न कुछ ले जाते थे, लेकिन अब लोग न के बराबर आ जा रहे हैं. इस बात की खबर अजमेर सिंह कुशवाहा को लगी. वे अपने साथ बिस्किट चना और दाना लेकर रोज नेरली घाट पहुंचते हैं. बंदरों को भोजन करवाते हैं. बंदर जैसे ही उनकी गाड़ी देखते हैं झुंड के झुंड मुख्य सड़क पर पहुंच जाते हैं. वे बंदरों को अपने हाथों से दाना खिलाते हैं.

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बता दें कि कोरोनो महामारी से जहां लोग अपने घरों में रह रहे हैं. वहीं मानवता का परिचय देते हुए अजमेर सिंह कुशवाह बंदरों का ख्याल रख रहे हैं. अपने अपने स्तर पर हर कोई इस जंग को जीतना चाहता है. बेजुबानों को प्यार के साथ खाना परोस रहे हैं. इस महामारी में उनकी ये पहल वाकई काबिल-ए-तारीफ है.

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