नई दिल्ली। दक्षिण-पश्चिम मानसून शनिवार को खत्म हो गया. इस बार औसत से 820 मिलीमीटर कम बारिश हुई, जबकि किसी अल नीनो वर्ष में बारिश का दीर्घकालिक औसत 868.6 मिलीमीटर (मिमी) रहता है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, सकारात्मक कारकों मुख्य रूप से हिंद महासागर डिपोल और मैडेन-जूलियन ऑसीलेशन (एमजेओ) ने अल नीनो स्थितियों के कारण होने वाली बारिश की कमी को कुछ कम किया और ‘लगभग सामान्य’ वर्षा हुई. 2023 से पहले भारत में लगातार 4 वर्षों तक मानसून के मौसम में सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई थी.

मौसम विभाग ने कहा कि पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य 1,367.3 मिमी की तुलना में 1,115 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 18 प्रतिशत कम है. उत्तर पश्चिम भारत में दीर्घकालिक औसत 587.6 मिमी के मुकाबले 593 मिमी बारिश दर्ज की गई. मध्य भारत में सामान्य बारिश 978 मिमी के मुकाबले 981.7 मिमी दर्ज की गई.

इस साल भारत में जून में 9 प्रतिशत बारिश की कमी हुई, लेकिन उत्तर पश्चिम भारत में लगातार पश्चिमी विक्षोभ और एमजेओ के अनुकूल चरण के कारण जुलाई में सामान्य से 13 प्रतिशत अधिक बारिश हुई. अल नीनो की स्थिति भारत में कमजोर मानसूनी हवाओं और शुष्क परिस्थितियों से जुड़ी है.

36 प्रतिशत बारिश की कमी के साथ अगस्त 2023, 1901 के बाद से सबसे शुष्क महीना और भारत में अब तक का सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया था, जिसका कारण अल नीनो की स्थिति को मजबूत करना है. कई निम्न दबाव प्रणालियों और एमजेओ के सकारात्मक चरण के कारण सितंबर में अधिक बारिश हुई थी.