चंद्रकांत/बक्सर: जिला अभिलेखागार में खतियान की नकल प्राप्त करने के लिए लोगों को महीनों तक चक्कर काटने पड़ रहे हैं. भू-स्वामियों का आरोप है कि नाजायज शुल्क देने वालों को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अभिलेखागार के बाहर रोजाना लंबी कतारें लग रही हैं, लेकिन समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है.
दरअसल, अभिलेखागार में सुबह से शाम तक खतियान नकल के लिए लोग खड़े रहते हैं. पांडेय पट्टी के एक व्यक्ति ने बताया कि उनके रिश्तेदार रामदास राय और धर्मदेव राय ने 5 सितंबर 2024 को खतियान नकल के लिए आवेदन दिया था, अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है. रोज उन्हें टरका दिया जाता है.
दरवाजे पर लग रही भीड़
वहीं, राजपुर से आए एक अन्य व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बिना सेवा शुल्क दिए आवेदन ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है, जबकि 1000 से 2500 रुपये तक के अनाधिकारिक भुगतान के बाद नकल तुरंत मिल जाती है. अभिलेखागार के दरवाजे पर हर दिन लंबी कतारें देखी जा रही हैं. लोग सुबह से देर शाम तक अपनी बारी का इंतजार करते हैं, लेकिन कर्मियों की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं मिलता. अधिकांश लोग व्यवस्था की खामियों को लेकर नाराज दिखे.
नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मत
राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता विनोधर ओझा ने बताया कि अभिलेखागार में सेवा शुल्क लेने की प्रथा वर्षों से जारी है, लेकिन अब यह शुल्क कई गुना बढ़ गया है. बहुजन समाज पार्टी के नेता मतिउर्रहमान ने बताया कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान लोगों ने उनसे शिकायत की है कि नकल निकालने के लिए 1000 से 2500 रुपये तक का भुगतान करना पड़ता है.
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