नई दिल्ली। चांद पृथ्वी से कोरोना जैसे वायरस नहीं पहुंचे इसके लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने नया गाइडलाइन तैयार किया है. इसमें चंद्रमा पर उपग्रह या मानव मिशन की तैयारी कर रहे एजेंसियों को मिशन के साथ भेजी जाने वाली जैविक सामग्रियों की पूरी जानकारी देनी होगी.
चांद पर मानव कदम रख चुका है, और मंगल पर पैर रखने की तैयारी की जा रही है. इसके साथ ही अब मंगल ग्रह की यात्रा की योजना पर भी देशों ने काम करना शुरू कर दिया है, इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए चंद्रमा और मंगल की सतह की उपग्रह भेजने के बाद अब लैंडर के जरिए पूरी तकनीकी जानकारी हासिल की जा रही है.
इसके साथ ही पृथ्वी की आबोहवा में पाए जाने वाले विषाणु चंद्रमा और मंगल पर न पहुंचे और वे सुरक्षित स्थान बने रहे, इसकी चिंता दुनिया में कोरोना महामारी के फैलने के बाद और बढ़ गई है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए नासा ने गाइड लाइन तैयार किया है, जिसमें चंद्रमा के दिखाई न देने वाले स्थाई रूप से अंधेरे वाले क्षेत्र को ‘संवेदनशील क्षेत्र’ घोषित किया गया है.
नासा का मानना है कि यह क्षेत्र रसायन विकास (Chemical Evolution) की वजह से ज्यादा दिलचस्प है, ऐसे में जैविक सामग्री की सूचना जरूरी है. नासा के साइंस मिशन डायरेक्टोरेट के सहायक प्रशासक थामस जुर्बुचेन कहते हैं कि चंद्रमा के स्थाई अन्वेषण के लक्ष्य को लेकर हम काम कर रहे हैं, इसके लिए हम स्थाई रूप से छाया वाले क्षेत्र में भविष्य के विज्ञान के लिए सुरक्षित रख रहे हैं.
नासा के गाइडलाइन के अनुसार, चंद्रमा पर उतरने की योजना बना रही तमाम संस्थाओं को उपग्रह में शामिल तमाम जैविक सामग्री – जिंदा या मूर्दा – की पूरी सूची देनी होगी. वहीं मानवीय अभियान के लिए चंद्रमा के पर्यावरण में रहने वाले जैविक सामग्री – मानव उत्सर्जन तक – की जानकारी देनी होगी.
मंगल को भी सुरक्षित रखने की तैयारी
मंगल ग्रह पर मानव तक पहुंचने के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) का इस्तेमाल किया जाएगा. लेकिन अब तक इसके लिए कोई गाइडलाइन तैयार नहीं की गई है. नासा मंगल तक मानव मिशन के लिए ऐसी योजना विकसित कर रहा है, जिसमें मानव के अंतरिक्ष अभियान, विज्ञान, व्यावसायिक गतिविधियां और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाया जाएगा. नासा ने स्पष्ट किया कि वह वर्तमान में मौजूद जानकारी और भविष्य की जरूरतों के बीच के अंतर को पाटने के लिए काम करेगा.