रायपुर. महंगाई डायन खाए जात है का कहावत सही साबित होता जा रहा है. एक बार फिर दिवाली से ठीक पहले रसोई गैस सिलेंडर यानी एलपीजी सिलेंडर महंगा हो गया है. सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की कीमत इस महीने फिर 62.50 पैसे बढ़ गए. अक्टूबर में रिफिलिंग 955 रुपए में हो रही थी. 1 नवंबर को गैस कंपनियों के दाम फिर बढ़ा दिए. यानी अब इस महीने आपको गैस रिफिलिंग कराते वक्त एजेंसी में 1017.50 पैसे देने होंगे. जबकि रायपुर की तुलना में दिल्ली व मुंबई में गैस सिलेंडर सस्ते है. इतना ही नहीं मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा से भी मांहगा छत्तीसगढ़ में सिलेंडर मिल रहा है.

ग्राहकों के बैंक खाते में सब्सिडी

एलपीजी उपभोक्ताओं को बाजार मूल्य पर रसोई गैस सिलेंडर खरीदना होता है. हालांकि, सरकार साल भर में 14.2 किलो वाले 12 सिलेंडरों पर सीधे ग्राहकों के बैंक खाते में सब्सिडी डालती हैं. रायपुर में अब 1017.50 रुपए का एक गैस सिलेंडर मिलेगा जिसमें से 507.20 रुपए लोगों के खाते में सब्सिडी मिलेगा.

दिल्ली व मुंबई की तुलना में रायपुर में महंगा गैस सिलेंडर

  • दिल्ली में गैस सिलेंडर के दाम 939 रुपए
  • मुंबई में 912 रुपए
  • इंदौर में 968 रुपए
  • भोपाल में 947 रुपए
  • भुवनेश्वर में 907 रुपए
  • नागपुर में 993 रुपए
  • रायपुर में 1017.50 रुपए है. सभी जगहों की अपेक्षा रायपुर में घरेलू गैस सिलेंडर महंगा है.

रायपुर में 8 महीने के गैस सिलेंडर के दाम

  • अप्रैल महीने में 721 रुपए.
  • मई में 720 रुपए
  • जून में 770 रुपए
  • जुलाई में 829 रुपए
  • अगस्त में 864 रुपए
  • सितंबर में 896 रुपए
  • अक्टूबर में 955 रुपए
  • नवंबर में 1017.50 रुपए है.

ग्राहकों के पहुंच हो रहा बाहर

ग्राहकों का कहना है कि सिलेंडर के दाम उनकी पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं. भले ही उनके खाते में सब्सिडी बाद में आएगी, मगर एजेंसी को देने के लिए तत्काल एकमुश्त में हर महीने इतने पैसे कहां से लाएं. दूसरी ओर कमर्शियल सिलेंडर के दाम भी बढ़ा दिए गए हैं.

बिक्री में आई कमी

गैस एजेंसी संचालकों का कहना है कि सिलेंडर की कीमत बढ़ने से इन दिनों का इसकी बिक्री भी कम हो गई है. विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में तो उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन भी नहीं लिए जा रहे हैं.

क्यों बढ़ती हैं गैस सिलेंडर की कीमतें?

बता दें कि औसत अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क दर और विदेशी मुद्रा विनिमय दर के अनुरूप एलपीजी सिलेंडर के दाम तय होते हैं, जिसके आधार पर सब्सिडी राशि में हर महीने बदलाव होता है. जब अंतरराष्ट्रीय दरों में वृद्धि होती है तो सरकार अधिक सब्सिडी देती है, लेकिन टैक्स नियमों के अनुसार रसोई गैस पर माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की गणना ईंधन के बाजार मूल्य पर ही तय की जाती है. ऐसे में सरकार ईंधन की कीमत के एक हिस्से को तो सब्सिडी के तौर पर दे सकती है, लेकिन टैक्स का भुगतान बाजार दर पर करना होता है. इसके चलते कीमतों में वृद्धि होती है.