अरविंद मिश्रा, बलौदाबाजार- भाटापारा से 16 किमी दूर ग्राम कोदवा के आदर्श गोशाला में 100 से अधिक गायों की भूख, प्यास और देखभाल के अभाव में मौत हो गई. गोशाला में पशुओं की देखरेख के लिए लगभग 8 आदमी रखे है फिर भी गायों की भूख-प्यास से मौत हो गई. बुधवार को सरपंच के आदमी मृत गायों को घसीटकर खुले मैदान में ले जाकर छोड़ रहे थे. मीडिया पहुंचने पर ग्रामीणों ने मामले का खुलासा किया.

ग्रामीणों ने बताया कि गोशाला में गायों की मौत चारा और पानी नहीं मिलने से हो गई. पहले यहां हर दिन 5 से 6 गाय मर रही थी. लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. अचानक 100 से अधिक गाय मरने पर अफरा-तफरी मच गईं. सरकार से गौशाला को चारा के लिए 3 महीने में 8 लाख रुपए मिला था, लेकिन दो माह में राशि खत्म हो जाने की बात सरपंच द्वारा बताई गई जो कि किसी के गले नहीं उतर रही. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सरकार से मिले राशि को अधिकारी और जनप्रतिनिधि खा गए. गायों के मरने के बाद पंचायत सचिव स्टाक रजिस्टर लेकर फरार हो गया. सरपंच और उच्च अधिकारी मामले को दबाने की कोशिश में लग गए हैं.

पोस्टमार्टम के पहले मौत की भविष्यवाणी

मौत का सही कारण अभी पता नहीं चला है. पोस्टमार्टम होने के बाद ही हकीकत सामने आ पाएगी. लेकिन बुधवार शाम तक पशु चिकित्सक  एसएन अग्रवाल ने पोस्टमार्टम की जानकारी नहीं दी. बिना पोस्टमार्टम के डॉक्टर ने बता दिया कि गायों की मौत ठंड से हुई है. आगे उन्होंने बताया कि मंगलवार को रूटिंग चेकिंग पर आए थे, गाय को बाटल लगाया था, गायें काफी कमजोर हो चुकी थी.

इसी तरह का जवाब जनपद सीईओ डीपी नायक ने भी दिया. उन्होंने कहा कि मौसम की खराबी की वजह से 20 गायों की असामयिक मौत हुई है. बता दें कि अभी पोस्टमार्टम नहीं हुआ है. बावजूद इसके गायों की ठंड से मरने की भविष्यवाणी कर रहे हैं.सूचना पर जब मीडिया पहुंची तब मामले का खुलासा हुआ. गौशाला में मृत गायों का अंबार लगा हुआ था और शव को ट्रैक्टर से घसीटकर बाहर फेंकने में सरपंच मालिकराम साहू के आदमी लगे हुए थे. प्रशासन मामले को दबाने के फिराक में मृत गायों के शव को खुले में फेंक रहे थे.

गोशाला में रखी क्षमता से ज्यादा गायें

खरीफ फसल के समय गाय इधर-उधर घूमकर धान को बर्बाद कर रही थी. फसल बचाने के लिए ग्रामीणों द्वारा 25 एकड़ जमीन में लगभग 30 लाख रुपए खर्च कर गोशाला खोला गया है. तीन शेड बनाया है, जिसमें एक चारा रखने का गोदाम भी है. इसमें 3 सौ गायों को रखने की क्षमता है. लेकिन यहां लगभग 5 सौ गायों को रखा गया था. गोशाला संचालन की जिम्मेदारी ग्राम सरपंच और सचिव की है.