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धरसींवा, सुरेंद्र जैन। बैठने को सूखी जमीन नहीं, ऊपर से आसमान से बरसता पानी और खाने को दाना नहीं, क्या ऐसी हालत में कोई रह सकता है, शायद नहीं, लेकिन सौ से अधिक गौवंश को तीन दिन तक इसी तरह रखा गया. पूरा मामला तिल्दा तहसील के ग्राम निनवा का है. यहां रोका छेका के तहत गौवंश से फसलों की सुरक्षा करने सभी की सहमति से सरपंच व किसानों ने सौ से अधिक गौवंश को रखा. प्रशासन को खबर लगने पर सभी गौवंश को मुक्त कराया.
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श्रीराम गौसेवा संगठन के सदस्य सुधीर नायक ने जब गौवंश को इस हालत में देखा तो उन्होंने इसका वीडियो शेयर किया और जानकारी तिल्दा एसडीएम प्रकाश टंडन को दी. एसडीएम ने तत्काल एक्शन लेते हुए पशु चिकित्सकों की टीम को निनवा के लिए रवाना किया. पशु चिकित्सकों की टीम ने गौवंश को इस हालत में देखा और एसडीएम को अवगत कराया. इसके बाद सभी गौवंश को वहां से छोड़ा गया और गौवंश के मालिकों को अपने गौवंश को घर में रखने को कहा गया.
इस संबंध में सरपंच प्रतिनिधि लक्ष्मी वर्मा ने बताया कि प्रति एकड़ पचास रुपये के हिसाब से किसान गौवंश को दाना पानी देंगे यह तय हुआ था और गौवंश को रखा गया लेकिन किसी ने पैसे नहीं दिए उनसे जितना हो सका उतना चारा उन्होंने गौवंश को दिया.
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इधर एसडीएम प्रकाश टंडन ने कहा कि गांव के लोगों ने ही अपनी व्यवस्था के तहत गौवंश को रखा था. सूचना मिलने पर पशु चिकित्सकों की टीम भेजकर गौवंश को वहां से छुड़वा दिया गया है. पशु चिकिसक ने बताया कि गौवंश कीचड़ पानी में थे, चारा भी नहीं था हालांकि गौवंश स्वस्थ पाए गए. सभी गौवंश मालिकों से उनके गौवंश की सेवा स्वयं करने बोला गया है. अब सवाल यह उठता है कि सौ से अधिक गौवंश को जिस तरह रखा गया उससे यदि कोई अनहोनी होती तो इसका जिम्मेदार कौन होता ओर क्या इस तरह गौवंश को रखना चाहिए.
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