कर्ण मिश्र, ग्वालियर। देशभर में इन दिनों कोरोना के टीके का टोटा पड़ा हुआ है. जिसमें मध्य प्रदेश भी शामिल है. जहां बीते दिनों कई जिलों में वैक्सीन की कमी खबरें सामने आईं हैं. इसी बीच राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की 15 जुलाई की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कोरोना की वैक्सीन को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अफसर गंभीर नहीं हैं. जिसके कारण ग्वालियर में कोविशील्ड का वेस्टेज 3.32 फीसदी है. जबकि एमपी में औसत वेस्टेज 2.13 फीसदी है.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के शहड़ोल जिले में सबसे ज्यादा वैक्सीन का वेस्टेज हुआ है. ऐसे में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक छवि भारद्वाज ने रिपोर्ट के आधार पर संबधित जिलों के कलेक्टर्स को पत्र लिखा है. उन्होंने अपने पत्र में कहा कि वे वेस्टेज कम करने मॉनिटरिंग करें. साथ ही वैक्सीन यूटिलाइजेशन रिपोर्ट भरने वाले स्टाफ को ट्रेनिंग दिलवाएं.

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वहीं ग्वालियर सीएमएचओ डॉ मनीष का मामले पर कहना है कि व्हीयूआर (वैक्सीन यूटिलाइजेशन रिपोर्ट) फार्मेट में कोविन पोर्टल पर फीडिंग की जाती है. इसमें कुछ कमी व देरी के कारण ही जिले में वेस्टेज ज्यादा दिखाई दे रहा है. जबकि हकीकत ऐसी नहीं है. हमारे यहां अन्य जिलों की तुलना में वैक्सीन का वेस्टेज काफी कम है.

गौरतलब है कि ग्वालियर जिले में अब तक 7 लाख 74 हजार 238 लोगों को पहला डोज लग चुका है. जबकि एक लाख 66 हजार 447 को दूसरा डोज लगाया जा चुका है. छह माह में कुल 9 लाख 40 हजार 685 डोज लगाए जा चुके हैं. जिसमें कोविशील्ड के 7 लाख 92 हजार 057 डोज लगाए गए और को-वैक्सीन के एक लाख 48 हजार 628 डोज लगाए गए. जिसमें कोविशील्ड के डोज की बर्बादी 1.07 फीसद और कोवैक्सीन 3.82 फीसद डोज एक मई से अब तक बर्बाद हुई.

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