उत्तर प्रदेश को वर्ष 2047 तक एक विकसित, आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य के रूप में स्थापित करने के बड़े लक्ष्य के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रारम्भ ‘विकसित उत्तर प्रदेश@2047 : समृद्धि का शताब्दी पर्व महाभियान” लगातार जनभागीदारी के साथ आगे बढ़ रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में शुरू हुआ यह महाभियान प्रदेश के विकास की दिशा तय करने में जनता की सक्रिय भूमिका सुनिश्चित कर रहा है.
जनता की राय जुटाने के लिए बनाए गए पोर्टल samarthuttarpradesh.up.gov.in पर अब तक कुल 42,27,215 सुझाव प्राप्त हुए हैं. इनमें 32,90,660 ग्रामीण क्षेत्रों से और 9,36,556 नगरीय क्षेत्रों से आए हैं. आयु वर्ग के अनुसार 20,49,797 सुझाव 31 वर्ष से कम आयु वालों के हैं, 19,70,776 सुझाव 31 से 60 वर्ष के बीच के नागरिकों के हैं, जबकि 2,06,646 सुझाव 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों से मिले हैं.
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विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त सुझावों में कृषि क्षेत्र से 10,11,706, पशुधन एवं डेरी से 1,59,893, उद्योग से 1,43,969, आईटी एवं टेक्नोलॉजी से 1,20,859, पर्यटन से 95,841, ग्रामीण विकास से 8,58,509, अवसंरचना से 36,397, संतुलित विकास से 63,153, समाज कल्याण से 3,11,951, नगरीय एवं स्वास्थ्य क्षेत्र से 2,99,631, शिक्षा से 10,47,621 और सुरक्षा से 77,692 सुझाव शामिल हैं। जनपदवार फीडबैक में संभल (1,81,255) पहले स्थान पर रहा, इसके बाद जौनपुर (1,80,671), प्रतापगढ़ (1,57,966), बिजनौर (1,49,973) और गोरखपुर (1,47,902) शीर्ष पाँच जिलों में शामिल हैं। वहीं महोबा (10,119), इटावा (18,546), फतेहपुर (19,697), फिरोजाबाद (21,311) और बागपत (21,631) जिलों से न्यूनतम फीडबैक प्राप्त हुए हैं.
प्रदेश के विभिन्न जिलों से मिले सुझावों में लोगों ने विकास की दिशा स्पष्ट की है. अयोध्या के आलोक द्विवेदी ने कहा कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्य के लिए ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. हर गांव में सड़क, बिजली, पानी, डिजिटल कनेक्टिविटी, स्वरोजगार और कृषि आधारित उद्योगों की सुविधा बढ़ाई जाए तथा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को टेली-एजुकेशन और टेली-मेडिसिन से जोड़ा जाए. लखनऊ के ऋषभ ने कहा कि उत्तर प्रदेश को सनातन संस्कृति और विरासत का वैश्विक केंद्र बनना चाहिए. उन्होंने प्राचीन मंदिरों के संरक्षण, संस्कृत व योग शिक्षण संस्थानों की स्थापना और धार्मिक पर्यटन को विश्वस्तरीय पहचान देने का सुझाव दिया. वाराणसी के ज्ञान प्रकाश पांडेय ने कहा कि सिंचाई प्रणाली को आधुनिक बनाना आवश्यक है. उन्होंने नहरों को पक्का करने, सूक्ष्म सिंचाई तकनीक अपनाने, तालाबों के पुनर्जीवन और सौर ऊर्जा पंपों को प्रोत्साहित करने पर बल दिया.
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महाभियान के अंतर्गत जनजागरण और संवाद के लिए प्रदेशभर में बैठकें, गोष्ठियां और सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं. अब तक 206 नगर पालिकाओं में बैठकें और 205 में सम्मेलन, 15 नगर निगमों में बैठकें व सम्मेलन, 55 जिला पंचायतों में सम्मेलन और 51 में बैठकें, 512 नगर पंचायतों में बैठकें और 515 में सम्मेलन, 666 क्षेत्र पंचायतों में सम्मेलन और 637 में बैठकें सम्पन्न हो चुकी हैं. इसके अलावा 41,476 ग्राम पंचायतों के स्तर पर भी बैठकों का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया है. इन आयोजनों से नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के बीच संवाद को मजबूत करने में बड़ी मदद मिली है. इससे पहले, अभियान के अंतर्गत 16 अक्टूबर तक राज्य के सभी 75 जनपदों में नोडल अधिकारियों और प्रबुद्ध नागरिकों ने छात्र, शिक्षक, व्यवसायी, उद्यमी, किसान, स्वयंसेवी संगठन, श्रमिक संगठन, मीडिया प्रतिनिधि और आम नागरिकों के साथ संवाद किया. इन मुलाकातों में प्रदेश की पिछले आठ वर्षों की विकास यात्रा साझा की गई और आने वाले वर्षों के रोडमैप पर चर्चा करते हुए नागरिकों से सुझाव लिए गए.
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