सत्यपाल राजपूत, रायपुर. छत्तीसगढ़ में लाखों स्कूली बच्चों का भविष्य अंधकार में जाता नजर आ रहा है. पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, कांग्रेस प्रवक्ता, शालाएं शिक्षक संघ के अध्यक्ष और प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता के अनुसार प्रदेश के सभी 33 जिलों में से लगभग 25 जिलों में कुल 600 से अधिक स्कूल शिक्षकों के बिना ही संचालित हो रहे हैं. इतना ही नहीं, 5 हजार 500 से अधिक स्कूल केवल एक ही शिक्षक के भरोसे हैं. ऐसे में स्टूडेंट्स पूछ रहे हैं कि कैसे पढ़ें..? कैसे आगे बढ़ें…? हमारा भविष्य संकट में है.
प्रदेश में एक तरफ जहां स्कूलों में शिक्षक नहीं है, वहीं दूसरी तरफ मुख्य शहरों के कई स्कूलों में स्वीकृत पदों से कई गुना ज्यादा शिक्षक पदस्थ हैं. रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, दुर्ग जैसे शहरों में छह हजार से अधिक शिक्षक एक्स्ट्रा पदस्थ हैं. सूत्रों की मानें तो इसका एक कारण यह भी है कि कई शिक्षक पैसे देकर अपनी पोस्टिंग मुख्य शहरों में करवा लेते हैं. इसके चलते ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में जा रहा है.
ऐसी शिक्षा व्यवस्था के बीच इस साल से फिर 5वीं और 8 वीं कक्षा की केन्द्रीकृत बोर्ड परीक्षा ली जाएगी. लेकिन शिक्षकों की कमी में बच्चे कैसे पढ़ेंगे और कैसे पास होंगे, यह चिंता का विषय बन गया है.
इस मामले में पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने कहा कि शिक्षक नहीं होंगे, तो पढ़ाई कैसे होगी? क्वालिटी की बात करते हैं और स्कूल में शिक्षक ही नहीं हैं. छत्तीसगढ़ में डेढ़ लाख शिक्षकों की जरूरत है. इसकी व्यवस्था पहले करें, साढ़े 500 से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जिसमें शिक्षक ही नहीं हैं. साढ़े पांच हजार स्कूल ऐसे हैं, जहां बच्चों का भविष्य एक शिक्षक के भरोसे है. ऐसे में विद्यार्थियों के भविष्य का क्या होगा ?
शाला शिक्षक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा कि ये शिक्षा विभाग का फेलियर है कि बड़ा अमला होते हुए भी व्यवस्था सही तरीक़ा से नहीं हो रही है. सरकार को ध्यान देना चाहिए कि 5वीं और 8वीं कक्षा के बच्चे कैसे परीक्षा देंगे… यह उनके साथ अन्याय है. उन्होंने कहा कि जहां स्वीकृत पदों से अधिक शिक्षक हैं, उनको तत्काल हटाकर ट्रांसफर पदोन्नति नियुक्ति भर्ती के माध्यम से इन पदों को भरा जाना चाहिए.
कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने भी इस मामले को लेकर कहा कि कक्षा पांचवी और कक्षा आठवीं में केंद्रीकृत बोर्ड परीक्षा इस साल से लिया जाएगा. यह बिलकुल स्वागत योग्य है. लेकिन वो बच्चे संकट में है जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं या जहां शिक्षकों की कमी है.
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा मंत्री रहते हुए बृजमोहन अग्रवाल ने विधानसभा में जानकारी दी थी कि साढ़े आठ हजार शिक्षक अलग अलग विभागों में अटैच हैं. बाबू के रूप में कार्य कर रहे हैं. उनको वापस लाया जाए और ऐसे स्कूलों में पदस्थ किया जाए, ताकि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ न हो.
वहीं BJP प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने इस मामले में कहा कि जब प्रदेश में BJP की सरकार थी, उस समय दो लाख शिक्षाकर्मियों को नियमित किए थे. शिक्षा का स्तर अच्छा था, विस्तार हुआ था. लेकिन कांग्रेस की सरकार आई और शिक्षा का स्तर 32 वें नंबर पर पहुंच गया. शिक्षकों की भर्ती नहीं की गई. व्यवस्थाएं बिगड़ गई. अब धीरे-धीरे करके इनको सुधारा जा रहा है. जहां शिक्षकों की बहुत कमी है, जल्द उसको भरा जाएगा.
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि इस साल से फिर एक बार 5वीं और 8वीं कक्षा के बच्चों की केंद्रीकृत बोर्ड परीक्षा होने हैं. लेकिन शिक्षा व्यवस्था की इस दयनीय स्थिति के चलते बच्चे कैसे पढ़ेंगे और कैसे पास होंगे यह काफी चिंता का विषय है.
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