देश के 25 उच्च न्यायालयों में पदस्थ 749 न्यायाधीशों में से ज्यादातर लोगों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है. जबकि न्यायाधीशों को अपनी प्रॉपर्टी की जानकारी सार्वजनिक करने की आदेश है. लेकिन इसके बाद भी इनमें से महज 98 जजों ने ये जानकारी सार्वजनिक की है. देश के लगभग सभी हाईकोर्ट में यही स्थिति है.

केवल 13 प्रतिशत जजों ने ही अपनी संपत्ति की जानकारी उपलब्ध कराई है, जबकि आदेश के बावजूद अधिकांश ने ऐसा नहीं किया। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में एक भी जज ने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है, जो पारदर्शिता के लिहाज से चिंताजनक है. ये सभी जानकारी एक मीडिया रिपोर्ट में सामने आई है.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक केरल हाईकोर्ट में ज्यादातर जजों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक किया है, जो एक सकारात्मक उदाहरण है. पंजाब-हरियाणा और दिल्ली हाईकोर्ट में भी कुछ जजों ने जानकारी दी है, लेकिन कई अन्य हाईकोर्ट में यह स्थिति खराब है. केरल हाईकोर्ट में वर्तमान समय में 39 जज हैं, जिनमें से 37 जजों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक किया है. इधर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के भी 55 में से 31 न्यायाधीशों ने संपत्ति की जानकारी दी है. दिल्ली हाईकोर्ट के 39 में से 11 जजों ने संपत्ति का ब्योरा दिया है. जबकि बॉम्बे हाईकोर्ट से लेकर कलकत्ता, राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत देश के अन्य 18 हाईकोर्ट के किसी भी जज ने अपनी संपत्ति की जानकारी नहीं दी है.

ये सब जानकारियां हैं शामिल

मीडिया रिपोर्ट्स के मुतबिक न्यायधीशों की संपत्ति के ब्योरे में उनकी चल और अचल संपत्ति के साथ पति/पत्नी और उनके आश्रितों की संपत्ति की भी जानकारी देना भी शामिल हैं. इनमें शेयर, म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट, बैंक बैलेंस, बॉन्ड और इंश्योरेंस पॉलिसी की जानकारी भी है.