दिल्ली. बच्चे देश के कर्णधार होते हैं लेकिन एक ऐसी तस्वीर हम आपके सामने रखने जा रहे हैं जिससे आपको निराशा हाथ लगेगी।
सरकार ने राइट टू एजुकेशन के तहत सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा बुनियादी अधिकार के तौर पर शामिल किया है। ये बात अलग है कि एक रिपोर्ट के मुताबिक आठवीं कक्षा के 57 फीसद छात्रों को बेसिक मैथ नहीं आ रही है। इसके साथ ही 28 फीसद बच्चे किताबों को नहीं पढ़ पा रहे हैं।
द एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2018 के मुताबिक पहले की तुलना में शिक्षा के स्तर में थोड़ा बहुत सुधार हुआ है लेकिन एक सच ये भी है कि कक्षा आठ के 56 फीसद बच्चे तीन अंकों के डिविजन वाले सवालों को नहीं कर पा रहे हैं। कक्षा 5 के 72 फीसद बच्चों को एक अंक के डिविजन वाले सवाल नहीं आ रहे हैं।
इसके साथ ही कक्षा तीन के 70 फीसद बच्चों को घटाने वाले सवाल नहीं आ रहे हैं।
ये शिक्षा व्यवस्था का नकारात्मक पक्ष है लेकिन सुविधाओं में बढ़ोतरी हुई है। 2010 में 84.6 फीसद स्कूलों को मिड-डे मील में कवर किया गया था। अब ये दायरा बढ़कर 87.1 फीसद हो चुका है। 2010 में करीब 32 फीसद स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से टॉयलेट की व्यवस्था थी और इसमें इजाफा हुआ है। अब करीब 66.4 फीसद स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से टॉयलेट है।